chaitra navratri 2023: दुर्गा अष्टमी पर करें श्रीदुर्गासप्तशती के इन मंत्रों का जाप, पैसों से भरी रहेगी तिजोरी; माता रानी का मिलेगा आशीर्वाद
Durga Saptshati Significance: नवरात्रि के दौरान श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ करते हैं तो आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है. श्रीदुर्गासप्तसती का पाठ एक कल्याणकारी कवच की तरह होता है, लेकिन आप नवरात्रि में श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नहीं कर पाए हैं तो महाअष्टमी के दिन आप श्रीदुर्गासप्तसती में बताए गए मंत्रों का जाप जरूर करें.
Durga Saptshati Path Niyam: नवरात्रि का समापन 30 मार्च को हो रहा है, उसके पहले 29 मार्च को महाअष्टमी को ग्रहों-नक्षत्रों का विशेष संयोग बन रहा है. माना जाता है कि अगर आप नवरात्रि के दौरान श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ करते हैं तो आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है. श्रीदुर्गासप्तसती का पाठ एक कल्याणकारी कवच की तरह होता है. लेकिन आप नवरात्रि में श्रीदुर्गासप्तशती का पाठ नहीं कर पाए हैं तो महाअष्टमी के दिन आप श्रीदुर्गासप्तसती में बताए गए मंत्रों का जाप जरूर करें. यह आपके लिए कल्याणकारी और शुभकारी साबित होगा.
क्या है श्रीदुर्गासप्तशती ?
दुर्गा सप्तशती में देवी की आराधना के लिए कई मंत्रों और साधना विधि का उल्लेख किया गया है. लेकिन सर्वाधिक मान्यता प्राप्त और अचूक स्तोत्र दुर्गा सप्तशती माना जाता है. मार्कंडेय ऋषि ने इसकी रचना की थी. इसका एक-एक श्लोक महामंत्र है. ऐसा कहते हैं कि दुर्गा सप्तशती बिना नियमों की जानकारी के नहीं पढ़ना चाहिए.
आपको बता दें कि दुर्गा सप्तशती के 13 अध्याय हैं. इसमें कुल 700 श्लोक. ये 700 श्लोक तीन भागों में बांटे गए हैं- प्रथम चरित्र , मध्यम चरित्र और उत्तम चरित्र. दुर्गा सप्तशती पाठ के श्लोकों का असर निश्चित रूप से होता है. मान्यता है कि दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से सभी प्रकार की मुसीबतों का निवारण हो जाता है.
दुर्गा सप्तशती के इन मंत्रों से होगा हर समस्याओं का निवारण -
सर्वकल्याण मंत्र
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वाथ साधिके ।
शरण्येत्र्यंबके गौरी नारायणि नमोस्तुऽते॥
बाधा मुक्ति और धन-प्राप्ति मंत्र
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः।
मनुष्यों मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय।।
सर्वविघ्ननाशक मंत्र
सर्वबाधा प्रशमनं त्रेलोक्यााखिलेशवरी।
एवमेय त्वया कार्यमस्माद्वैरि विनाशम्।।
दुर्गा सप्तशती पाठ के नियम
दुर्गा सप्तशती का पाठ आप नवरात्रि के दिनों में किसी भी समय कर सकते हैं. पाठ करने से पहले देवी के सामने घी का दीपक जलाएं. उन्हें लाल पुष्प अर्पित करें. इसके बाद नियम पूर्वक सप्तशती का पाठ करें. आप जितने दिन भी सप्तशती का पाठ करें, उतने दिन सात्विकता बनाए रखें. मांस-मंदिरा का सेवन बिल्कुल न करें.
अपनी फ्री कुंडली पाने के लिए यहां क्लिक करें
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)