Maa Chamunda: देवी मां का आठवां स्वरूप महागौरी कहलाता है, जिन्हें सौंदर्य की देवी भी कहा जाता है. महागौरी रूप में देवी करुणामयी, स्नेहमयी, शांत और कोमल दिखती हैं. देवताओं और ऋषियों ने उनकी प्रार्थना करते हुए कहा, “सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके, शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते.”


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पौराणिक कथा  


मां महागौरी ने देवी पार्वती के रूप में भगवान शिव को पति के रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी. एक बार भगवान भोलेनाथ ने पार्वती जी को देखकर कुछ कह दिया तो उनका मन आहत हो गया. इस पर वह फिर से तपस्या में लीन हो गयीं और उन्हें तप करते हुए बरसों गुजर गए. जब काफी समय तक पार्वती जी नहीं लौटीं तो शिवजी को चिंता हुई और वह खुद ही पार्वती जी को खोजने निकल पड़े. घनघोर वन में तपस्या में रत पार्वती जी को उन्होंने ढूंढ तो लिया, लेकिन देखा कि कठोर तपस्या के कारण उनका शरीर काला पड़ गया था. इस पर शिवजी उन पर प्रसन्न होकर उन्हें गंगाजल से स्नान कराते हैं, जिसके परिणाम स्वरूप बिजली के समान कांतिमान, ओजपूर्ण और रंग गोरा हो गया, जिससे उनका नाम महागौरी पड़ गया. 


आठवां स्वरूप 


महागौरी का अर्थ है, गोरे रंग का वह रूप जो कि सौन्दर्य से भरपूर और प्रकाशमान है. जिस तरह प्रकृति के दो रूप होते हैं एक महा विध्वंसकारी और दूसरा सृजनकारी, उसी तरह मां के एक रूप कालरात्रि प्रलय के समान है और महागौरी रूप सौंदर्यवान करुणामयी है. उनका ध्यान करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. ध्यान करने पर व्यक्ति संपूर्ण ब्रह्मांड का अनुभव करता है. ध्यान की परम्परा हमारे समाज में बहुत पुरानी है और कोई भी पूजा बिना ध्यान के पूरी नहीं होती है. हजारों वर्षों से इस परम्परा का निर्वहन हो रहा है. मनुष्य के भीतर पवित्र आत्मा के विविध तत्वों को जागृत करने के लिए ध्यान आवश्यक है. 


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