Ganesh Chaturathi: देवताओं में सर्वप्रथम पूज्य गणेश जी का 10 दिवसीय महोत्सव भारत ही नहीं विदेशों में भी बसे हुए भारतीय धूमधाम से मनाते हैं. यूं तो गणेश जी की पूजा हर माह में दो बार पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को पूरे विधि विधान से की जाती है, किंतु भाद्रपद मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से शुरु होने वाले गणेश उत्सव की बात ही निराली है. अनंत चतुर्दशी तक पूरे 10 दिन चलने वाले इस उत्सव में जहां हर घर में ऋद्धि सिद्धि के दाता गणेश जी की पूजा होती है वहीं सार्वजनिक स्तर पर हर गली मोहल्लों में विशाल पंडाल में गणपति जी विराजते हैं. 


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माना जाता है कि जिस तरह श्रावण मास में शिव जी धरती पर रह कर भक्तों का कल्याण करते हैं ठीक उसी तरह उनके पुत्र गणपति जी भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से लेकर चतुर्दशी तक धरती पर रह कर लोगों के जीवन के विघ्न दूर कर उनका मंगल करने का कार्य करते हैं. इसीलिए गणेश जी का नाम विघ्नहर्ता और मंगलकर्ता भी है. आइए अब जानते हैं कि इस साल गणेश जी की प्रतिमा की स्थापना कब की जाएगी.


19 सितंबर से शुरू होगा गणेश उत्सव


इस वर्ष गणपति बप्पा मोरया की गूंज 19 सितंबर मंगलवार से शुरू होगी जब  बप्पा विराजेंगे. ज्योतिषियों का मानना है कि विघ्नहर्ता गणेश जी की स्थापना करने के साथ ही जिस परिवार में 10 दिनों तक नियमपूर्वक उनका पूजन अर्चन और आरती की जाती है, उस घर पर गणेश जी कृपा करते हैं. 28 सितंबर गुरुवार को उनका विसर्जन किया जाएगा . गणपति की स्थापना के पहले उस स्थान को ठीक से साफ कर पवित्र कर लिया जाता है. पूजा की चौकी पर पीला वस्त्र बिछा कर उनकी स्थापना कर दूर्वा से गंगाजल छिड़क कर उन्हें हल्दी, चावल, चंदन, गुलाब, सिंदूर, मौली, दूर्वा, जनेऊ, माला फूल और मिठाई में मोदक, फल आदि अर्पित करना चाहिए. गणेश जी के साथ ही भगवान शंकर और माता पार्वती का भी पूजन कर आरती करें. श्रद्धा और लगन के साथ बप्पा की इन 10 दिन तक सेवा करने वाले लोगों को गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है साथ ही भगवान उनका मंगल करते हैं.