Dhuni Darshan: धूणी दर्शन क्या होता है? जिसके लिए उदयपुर में मचा बवाल, भिड़ गए दो राजपरिवार
Dhuni Darshan: आखिर ये धूणी दर्शन होता क्या है. आखिर क्यों इसके लिए दो राजपरिवार आपस में भिड़ गए हैं. तो यहां हम आपके मन में उठ रहे सभी सवालों का जवाब आपको बताते हैं.
Dhuni Darshan: राजस्थान के उदयपुर में धूणी दर्शन को लेकर विवाद बढ़ गया है. इसके लिए उदयपुर के दो राजपरिवारों के बीच जमकर बवाल मच रहा है. लेकिन ऐसे में लोगों के मन में यह सवाल उठने लगा है कि आखिर ये धूणी दर्शन होता क्या है. आखिर क्यों इसके लिए दो राजपरिवार आपस में भिड़ गए हैं. तो यहां हम आपके मन में उठ रहे सभी सवालों का जवाब आपको बताते हैं.
क्या होता है धूणी दर्शन?
मेवाड़ में परंपरा है कि जब भी कोई नए दीवान राजगद्दी पर आसीन होते हैं और राजतिलक के बाद वह धूणी के दर्शन करने जाते हैं. राजतिलक के बाद अगर धूणी दर्शन और इसके बाद दीवान एकलिंग जी का दर्शन नहीं करता है तो राजतिलक अधूरा माना जाता है. दोनों दर्शन करने के बाद ही राजपरिवार में व्याप्त शोक खत्म हो जाता है. इसी दर्शन के लिए और शोक को खत्म करने के लिए उदयपुर के नए दीवान विश्वराज सिंह सिटी पैलेस पहुंचे थे.
चाचा ने भतीजे को दर्शन से रोका
लेकिन वहां पहले से मौजूद उनके चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने उन्हें जाने से रोक दिया. कारण बताते हुए चाचा अरविंद सिंह मेवाड़ ने विश्वराज सिंह पर आरोप लगाया कि वह महाराणा मेवाड़ चैरिटेबल ट्रस्ट के सदस्य नहीं हैं. इस कारण वह धूणी दर्शन के लिए महल के अंदर नहीं जा सकते हैं. इसके बाद दोनों पक्षों की ओर से तनाव बढ़ गया और समझौते की बात हुई लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ.
मौके पर हुई पत्थरबाजी
यह घटना तब घटी जब विश्वराज सिंह मेवाड़ अपने समर्थकों के साथ उदयपुर के सिटी पैलेस में धूणी दर्शन के लिए पहुंचे और उन्हें महल में प्रवेश करने नहीं दिया गया. इसके बाद स्थिति इतनी तनावपूर्ण हो गई कि देर रात तक महल के बाहर और अंदर के लोगों के बीच पत्थरबाजी हुई. पुलिस की भारी तैनाती के बावजूद विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा था.
मौके पर पहुंची पुलिस
घटना की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन के अधिकारी मौके पर पहुंचे. उदयपुर के डीएम और सिटी एसपी भी वहां मौजूद रहे. प्रशासन ने तुरंत उस स्थान पर एक रिसीवर नियुक्त कर दिया, जहां दर्शन को लेकर विवाद हुआ था. इसके अलावा, प्रशासन ने लोगों को समझाने की कोशिश की, ताकि स्थिति को शांत किया जा सके. हालांकि, रात भर स्थिति तनावपूर्ण बनी रही.
राजतिलक माना जाता है अधूरा
मेवाड़ की परंपरा के अनुसार, राजतिलक तब तक अधूरा माना जाता है जब तक धूणी दर्शन और एकलिंगजी के दर्शन न कर लिए जाएं. फिलहाल, धूणी दर्शन को लेकर विवाद के कारण विश्वराज सिंह मेवाड़ का राजतिलक अभी अधूरा ही माना जा रहा है. राजघराने की परंपराओं के अनुसार यह स्थिति बेहद गंभीर है.
क्यों हो रहा है विवाद
बता दें कि मेवाड़ राजघराने के दो प्रमुख परिवारों के बीच संपत्ति को लेकर लंबे समय से विवाद चल रहा है. महाराणा प्रताप के वंशज अरविंद सिंह और महेंद्र सिंह दोनों भाई हैं और उनके बीच संपत्ति के अधिकारों को लेकर कई कानूनी विवाद चल रहे हैं. इन मामलों में एकलिंगजी मंदिर और सिटी पैलेस सहित कई संपत्तियां शामिल हैं, जहां अरविंद सिंह ट्रस्ट के सर्वेयर के रूप में कार्य कर रहे हैं. हाल ही में महेंद्र सिंह मेवाड़ का निधन हुआ, जिसके बाद उनके बेटे विश्वराज सिंह का राजतिलक हुआ, लेकिन धूणी दर्शन को लेकर विवाद बना हुआ है.
प्रशासन का बयान
उदयपुर डीएम अरविंद पोसवाल पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि कानून-व्यवस्था की स्थिति पूरी तरह से नियंत्रण में है. हमारे प्रतिनिधि और समाज के अन्य प्रतिनिधियों के साथ बातचीत चल रही थी, कुछ मुद्दों पर सहमति भी बन चुकी है. हालांकि, कुछ बातों पर अभी भी विवाद कायम है और सहमति नहीं बन पाई है. प्रशासन ने सभी से अनुरोध किया है कि वह बातचीत में सहयोग करें और जो भी कानूनी कार्रवाई होनी है, वह की जाएगी.
उन्होंने कहा कि जो छोटी-मोटी घटनाएं हुई हैं, उनके बारे में प्रशासन और पुलिस कार्रवाई कर रहे हैं. वर्तमान में स्थिति पूरी तरह से सामान्य है और लोग महल से बाहर निकलने लगे हैं. डीएम ने आगे कहा कि विवादित स्थान धूणी स्थल को लेकर रिसीवर नियुक्त किया गया है. उन्होंने स्पष्ट किया कि अगर कोई मुकदमा दर्ज कराना चाहे तो वह कर सकता है.
IANS इनपुट के साथ