Maha Kumbh 2025: महाकुंभ की शुरुआत से पहले संतों की तैयारियां.. दिखा इको-फ्रेंडली कुटिया और परंपरा का संगम
Maha Kumbh 2025 News: प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं. इस भव्य आयोजन में देशभर के साधु-संत और श्रद्धालु शामिल होंगे. महाकुंभ को सफल बनाने के लिए संगम क्षेत्र में इको-फ्रेंडली कुटिया और शिविर बनाए जा रहे हैं.
Maha Kumbh 2025 News: प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ 2025 की तैयारियां जोरों पर हैं. इस भव्य आयोजन में देशभर के साधु-संत और श्रद्धालु शामिल होंगे. महाकुंभ को सफल बनाने के लिए संगम क्षेत्र में इको-फ्रेंडली कुटिया और शिविर बनाए जा रहे हैं. इन कुटियों में संत न केवल रहेंगे बल्कि आध्यात्मिक अनुष्ठान भी करेंगे.
इको-फ्रेंडली कुटिया
उत्तर प्रदेश सरकार महाकुंभ क्षेत्र को पर्यावरण के अनुकूल रखने के लिए प्रयासरत है. इस बार कुटिया और शिविर बनाने के लिए प्राकृतिक सामग्री जैसे घास-फूस और लकड़ी का उपयोग किया जा रहा है. प्लास्टिक और पॉलिथीन का इस्तेमाल पूरी तरह से बंद है. देवरहा बाबा न्यास शिविर के महाराज नवलकिशोर दास ने बताया कि इन कुटियों में सर्दी का असर कम होता है, जो इन्हें परंपरागत टेंट से अधिक आरामदायक बनाता है. नवलकिशोर दास जी महाराज ने कहा कि प्लास्टिक का उपयोग हम नहीं करते. ये कुटिया पर्यावरण के अनुकूल है और ठंड से भी बचाव करती है.
हवन कुंड और यज्ञशाला का निर्माण
साधु-संतों के शिविरों में केवल कुटिया ही नहीं, बल्कि हवन कुंड और यज्ञशालाएं भी बनाई जा रही हैं. यहां 45 दिनों तक संत अनुष्ठान करेंगे. इस बार महाकुंभ में भगवान राम के वन गमन से जुड़ी जगहों को विशेष रूप से सजाया गया है. श्रृंगवेरपुर में भगवान राम और निषादराज की 51 फीट ऊंची प्रतिमा श्रद्धालुओं के लिए आकर्षण का केंद्र बनेगी.
श्रृंगवेरपुर: रामायण काल का महत्व
श्रृंगवेरपुर वही ऐतिहासिक स्थान है, जहां से भगवान राम ने गंगा पार की थी. योगी सरकार ने इसे धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व के अनुसार सजा दिया है. इस बार श्रद्धालु यहां रामायण काल के वातावरण का अनुभव कर सकेंगे.
अखाड़ों में भूमि पूजन और विवाद
महाकुंभ के आयोजन के साथ ही अखाड़ों को जमीन आवंटन की प्रक्रिया भी चल रही है. अब तक तीन प्रमुख अखाड़ों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भूमि पूजन किया है. हालांकि, सबसे पुराने सन्यासी परंपरा के आवाहन अखाड़े ने मेला प्रशासन पर भेदभाव का आरोप लगाया है और विरोध प्रदर्शन की चेतावनी दी है. स्वामी प्रकाशानंद जी महाराज ने कहा कि हम मेला प्रशासन के भेदभावपूर्ण रवैये का विरोध करते हैं. अगर हमारी मांगें नहीं मानी गईं, तो प्रदर्शन करेंगे.
आस्था और परंपरा का संगम
महाकुंभ केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, परंपरा और अध्यात्म का प्रतीक है. संगम की रेती पर संतों के शिविर, हवन-कुंड, और इको-फ्रेंडली कुटिया इस आयोजन को और भी विशेष बना रही हैं. आने वाले दिनों में महाकुंभ की तैयारियां और तेज होंगी, और यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए एक अद्भुत अनुभव बनकर उभरेगा.