नई दिल्ली : कैसे श्रीकृष्ण की श्रीमद्भगवत गीता आपकी हर समस्या का समाधान कर सकती है. आपको गीता के संदेशों की अहमियत समझाएंगे. कहा गया है श्रीमद्भागवत गीता न केवल धर्म का उपदेश देती है, बल्कि जीवन जीने की कला भी सिखाती है. महाभारत के युद्ध के पहले अर्जुन और श्रीकृष्ण के संवाद लोगों के लिए प्रेरणा स्त्रोत हैं. गीता के उपदेशों पर चलकर न केवल हम स्वयं का, बल्कि समाज का कल्याण भी कर सकते हैं.


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पहले आपको बताते हैं क्या है गीता
महाभारत के युद्ध में जब पांडवों और कौरवों की सेना आमने-सामने होती है तो अर्जुन अपने बुंधओं को देखकर विचलित हो जाते हैं. तब उनके सारथी बने श्रीकृष्ण उन्हें उपदेश देते हैं. ऐसे ही वर्तमान जीवन में उत्पन्न कठिनाईयों से लडऩे के लिए मनुष्य को गीता में बताए ज्ञान की तरह आचरण करना चाहिए. इससे वह उन्नति की ओर अग्रसर होगा.


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भगवान श्री कृष्ण के श्रीमुख से उच्चरित इस श्रीमद्भागवत गीता में 18 अध्याय हैं वहीं इसमें  700 श्लोक हैं, जिसमें श्री कृष्ण ने- 574, भक्त अर्जुन ने- 85, राजा धृतराष्ट्र ने- 1 और उनके मंत्री संजय ने- 40 श्लोक बताए गए हैं.


हम आपको रोज़ गीता के सबसे प्रचलित श्लोक और उनका अर्थ समझाते हैं जिन्हें आप अपनी जिंदगी में उतारकर कठिन परिस्थिति में समाधान ढूंढ पाएं. तो सबसे पहले गीता के सबसे चर्चित श्लोक का अर्थ समझिए .


गीता के 18वें अध्याय के 66 वें श्लोक में कहा गया है:


सर्वधर्मान्परित्यज्य मामेकं शरणं व्रज.
अहं त्वां सर्वपापेभ्यो मोक्षयिष्यामि मा शुच:॥


सभी धर्मों को छोड़कर तू केवल मेरी शरण में आ जा. मैं तुझे सम्पूर्ण पापों से मुक्त कर दूँगा, इसमें कोई संदेह नहीं है. ऐसा भगवान ने ब्रम्हांड के हर प्राणी और जीव को वचन दिया है. जहां भक्ति है वहां भगवान भक्तों के भावरूपी डोरे से बंधे हैं.