Bangladesh Famous Mandir: बांग्लादेश के ढाका के लालबाग किले से लगभग 1 किलोमीटर दूर स्थित ढाकेश्वरी मंदिर देश ही नहीं विदेशों में भी खूब फेमस है. बता दें कि ये मंदिर 800 साल पुराना है. हिंदू संस्कृति और आस्था का ये केंद्र बांग्लादेश में स्थित है. विभाजन से पहले पूरे भारत में प्रमुख मंदिरों में से एक माना जाता है. लेकिन अब ये सिर्फ बांग्लादेश में रहने वाले लोगों के लिए ही नहीं बल्कि भारतीय हिंदुओं के लिए भी ये आस्था का केंद्र बन चुका है.


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ऐसी मान्यता है कि ढाकेश्वरी मंदिर के नाम पर ही ढाका का नामकरण किया गया. ढाकेश्वरी का अर्थ है ढाका की देवी. बता दें कि ढाका की देवी को दुर्गा आदिशक्ति के नाम से जाना जाता है. सन् 1996 में ढाकेश्वरी मंदिर को बांग्लादेश का राष्ट्रीय मंदिर घोषित कर दिया गया है. आइए जानें ढाकेश्वरी मंदिर से जुड़ी कुछ अन्य रोचक बातों के बारे में. 


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ढाकेश्वरी मंदिर के बारे में कुछ रोचक तथ्य


- 51 शक्तिपीठों में से एक ढाकेश्वरी मंदिर देश के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है. ऐसी मान्यता है कि यहां पर सती का मुकुट का गिरा था. 


- बता दें कि ढाकेश्वरी मंदिर को बांग्लादेशी संस्कृतिक विरासत का एक अभिन्न अंग माना जाता है. 


- ऐसी मान्यता है कि ढाका में प्रमुख देवताओं में मां दुर्गा को पूजा जाता है. इसलिए इन्हें आम बोलचाल की भाषा में देवी ढाकेश्वरी के नाम से जाना जाता है. 



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- नवरात्रि के दिनों में ढाका का नजारा अलग ही होता है. दुर्गा उत्सव यहां हिंदुओं का प्रमुख त्योहार माना जाता है. इन 10 दिनों का इंतजार ढाका के हिंदुओं  को बेसर्बी से रहता है. 


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- ढाकेश्वरी मंदिर पर राज्य का स्वामित्व है और हर सुबह मंदिर के बाह्मा परिसर में बांग्लादेश का ध्वज फहराया जाता है. इतना ही नहीं, कोई राष्ट्रीय शोक आदि होने पर इसे आधा झुका दिया जाता है. 


- नवरात्रि के दिनों में इस मंदिर की रौनक अलग ही होती है. पुराने समय में चैत्र माह में ढाकेश्वरी मंदिर में कई त्योहारों का आयोजन किया जाता था. और वर्तमान में चैत्र और शारदीय नवरात्रि के दौरान षष्ठी, सप्तमी, अष्टमी, नवमी के दिन विशेष अनुष्ठान आयोजित किए जाते हैं. इसके बाद विजयदशमी को पांच दिवसीय उत्सवों के साथ इसका समापन किया जाता है. 


- इतना ही नहीं, हर साल ढाका में दूर्गा पूजा का भव्य उत्सव ढाकेश्वरी मंदिर में ही आयोजित किया जाता है. माता के दर्शन के लिए यहां कई हजार भक्त पहुंचते हैं. 


- बता दें कि यहां मां मंदिर परिसर में स्वर्ण रूप में विराजित हैं और यहां पर बंगाली वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण देखने को मिलता है, इसमें की लाइन में चार शिव मंदिर हैं. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)