Importance of Guru Purnima: प्राचीन कालीन सभ्यता हो या आधुनिक दौर, गुरुओं की भूमिका को अहम माना गया है. ईश्वर का साक्षात्कार गुरुकृपा बिना हो पाना कठिन है. एक व्यक्ति को गढ़ने का पूरा श्रेय उसके गुरु को ही जाता है, इसलिए गुरू के प्रति कृतज्ञता और आभार व्यक्त करने का कोई अवसर नहीं छोड़ना चाहिए. गुरू को धन्यवाद कहने के लिए गुरु पूर्णिमा से बेहतर दिन और कोई नहीं हो सकता है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

क्‍यों मनाते हैं गुरु पूर्णिमा?


आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन वेदों के रचयिता महर्षि वेद व्यास का जन्म हुआ था, इसलिए महर्षि वेद व्यास जी के जन्मदिन को गुरु पूर्णिमा के तौर पर हर साल बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 21 जुलाई रविवार के दिन मनाया जाएगा. इस दिन अपने गुरु का पूजन, वंदन और सम्मान करना चाहिए. गुरु पद सर्वोपरि है, सतयुग में श्री राम की ऋषि विश्वामित्र की सेवा इसका प्रमाण है. इसलिए इस दिन अपने अपने गुरु के चरण स्पर्श करके उनका आशीर्वाद तो जरूर लें. क्या करें इस खास दिन पर


यह भी पढ़ें: दशकों बाद गुरु पूर्णिमा पर अद्भुत योग, इन राशि वालों की मिलेगी बड़ी कामयाबी


 

मां होती है पहली गुरु


हर व्यक्ति के लिए उसकी सबसे पहली गुरु उसकी मां होती है, इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन प्रातः जल्दी उठ कर दैनिक क्रिया से निवृत होने के बाद सबसे पहले अपने माता-पिता के चरणों में अपना माथा रखें यानी साष्टांग दंडवत प्रणाम करें.


यह भी पढ़ें: गुरू पूर्णिमा कब है, 20 या 21 जुलाई? जानिए सही तारीख, पूजा विधि और शुभ मुहूर्त


इष्ट के दर्शन करें

इस दिन अपने इष्ट दर्शन कर उन्हें भोग लगाना तो बिलकुल न भूलें. इष्ट का ध्यान कर उन्हें हर एक उस चीज के लिए धन्यवाद कहना चाहिए, जो आपको इस जगत से मिली है.


गुरु रूप में करें हनुमान जी की पूजा


वैसे तो हर किसी का जीवन में कोई न कोई गुरु होता है, किंतु जिन लोगों ने आध्यात्मिक जगत में किसी को गुरु नहीं बनाया है तो वह इस बात को लेकर बिल्कुल भी परेशान न हों. हनुमान चालीसा में गोस्वामी तुलसीदास ने लिखा है,  "जय जय हनुमान गोसाई कृपा करो गुरुदेव की नाई" अर्थात जिनका कोई गुरु नहीं है वह हनुमान जी की पूजा गुरु के रूप में कर सकते हैं.  


गुरू को प्रणाम करें


विद्यार्थी, युवा और अन्य सभी लोगों अपने गुरु को प्रणाम करें, उपहार दें और यदि वह साक्षात आपके समक्ष न हों, तो उनका ध्यान करके उन्हें मानसिक प्रणाम भेजना चाहिए. 


धर्मग्रंथ का करें पूजन 


घर में रखी श्री राम चरित मानस, श्रीमद्भगवद्गीता हो या फिर कोई भी धार्मिक पुस्तक को पूजा स्थल पर रखकर उसमें पुष्प अर्पित कर लाल कपड़े से लपेटें, उनको प्रणाम करिए और थोड़ा समय निकाल कर उसका पाठ करिए, धर्म ग्रंथ तो साक्षात गुरु हैं.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)