Winter Char Dham: सर्दियों के महीनों में भारी बर्फबारी के बीच विंटर चार धाम यात्रा को लेकर श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा जा रहा है. 30 दिसंबर तक 15000 से अधिक श्रद्धालु इस चार धाम की यात्रा कर चुके हैं.
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Winter Char Dham: उत्तराखंड सरकार ने बीते 8 दिसंबर को शीतकालीन चार धाम सर्किट का उद्घाटन किया, जिसका मुख्य उद्देश्य सर्दियों के ऑफ-सीजन महीनों में पर्यटकों को आकर्षित करना है. चलिए, जानते हैं कि आखिर शीतकालीन चार धाम यात्रा क्या है और उत्तराखंड सरकार इसे क्यों बढ़ावा दे रही है.
विंटर चार धाम कौन-कौन से हैं
उत्तराखंड के गढ़वाल में स्थित 4 मुख्य तीर्थस्थल या धाम हैं - गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ, जिन्हें चार धाम के रूप में जाना जाता है. हर साल मई से नवंबर तक लाखों श्रद्धालु इन तीर्थस्थलों पर आते हैं. उत्तराखंड सरकार के आंकड़ों के अनुसार, इस साल 48 लाख से ज्यादा तीर्थयात्री और 5.4 लाख वाहन चार धाम आए.
यहां होता है देवताओं का शीतकालीन निवास
इस प्रकार चार धाम यात्रा (तीर्थयात्रा) राज्य की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाती है. लेकिन सर्दियों के महीनों में भारी बर्फबारी के कारण ये मंदिर दुर्गम हो जाते हैं और इनके द्वार बंद कर दिए जाते हैं. दरअसल, सर्दियों के महीनों में इन मंदिरों के मुख्य देवताओं को निचले इलाकों में स्थित मंदिरों में ले जाया जाता है - उत्तरकाशी में मुखबा गंगोत्री धाम का शीतकालीन निवास है; उत्तरकाशी में खरसाली यमुनोत्री धाम का शीतकालीन निवास है; केदारनाथ का शीतकालीन निवास रुद्रप्रयाग के उखीमठ में ओंकारेश्वर मंदिर है और बद्रीनाथ का शीतकालीन निवास चमोली में पांडुकेश्वर है.
30 दिसंबर 2024 तक ओंकारेश्वर पहुंचे सबसे अधिक श्रद्धालु
सर्दियों में चार धाम यात्रा का उद्देश्य तीर्थयात्रियों को इन तीर्थस्थलों की ओर आकर्षित करना है, और इस प्रकार ऑफ-सीजन महीनों के दौरान उत्तराखंड में पर्यटकों को आकर्षित करना है. 30 दिसंबर तक, तीर्थस्थलों में 15,314 तीर्थयात्रियों की आवाजाही दर्ज की गई, जिसमें ओंकारेश्वर मंदिर में सबसे अधिक 6,482 तीर्थयात्री आए, उसके बाद पांडुकेश्वर (5,104 तीर्थयात्री), मुखबा (3,114 तीर्थयात्री) और खरसाली (614 तीर्थयात्री) का स्थान रहा.
विंटर चार धाम यात्रा से सरकार की उम्मीद
चार धाम से राज्य को प्रतिदिन 200 करोड़ रुपये से अधिक की आमदनी होती है. हालांकि, सर्दियों के मौसम में पर्यटकों की आमद अभी भी जारी है. अधिकारियों को उम्मीद है कि इस साल यात्रा के बढ़ने के साथ ही पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी.
क्यों कहते हैं सूर्य पर्यटन?
चूंकि राज्य में पर्यटन की संभावनाओं में चार धाम सबसे आगे हैं, इसलिए एक बार जब मंदिर बंद हो जाते हैं, तो लोगों की धारणा होती है कि सर्दियों में राज्य में घूमने का सही समय नहीं है. हालांकि, सर्दियों के चार धाम की शुरुआत के साथ, लोग चार शीतकालीन निवासों के आसपास के कम प्रसिद्ध स्थलों की यात्रा कर सकते हैं. जब सर्दियों में पूरा उत्तर भारत धुंध से ढका होता है, तो राज्य सरकार इस भीड़ का लाभ उठाना चाहती है. जिसको लोकप्रिय रूप से 'सूर्य पर्यटन' कहते हैं.