पूर्णिमा पर `सोने के कुएं` के जल से स्नान करेंगे प्रभु जगन्नाथ, फिर 15 दिन रहेंगे बीमार
Jagannath Rath Yatra 2024: प्रभु जगन्नाथ की रथ यात्रा शुरू होने में कुछ ही दिन बाकी हैं. रथ यात्रा से पहले ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन प्रभु जगन्नाथ को स्नान कराया जाता है.
Jagannath Puri Temple: ओडिशा के पुरी में स्थित जगन्नाथ मंदिर से निकलने वाली भव्य रथ यात्रा को लेकर मंदिर की पूजा-प्रकियाएं शुरू हो गई हैं. 22 जून को ज्येष्ठ पूर्णिमा के दिन महाप्रभु जगन्नाथ को विशेष स्नान कराया जाएगा. देवस्नान के बाद प्रभु जगन्नाथ को बुखार आता है और वे 15 दिन तक भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. पूर्णिमा के दिन होने वाला देवस्नान बेहद खास होता है क्योंकि पूरे साल में यही एक मौका होता है, जब भगवान जगन्नाथ, भाई बलराम और बहन सुभद्रा का कई मटके जल से स्नान कराया जाता है और भक्त इसके साक्षी बनते हैं.
यह भी पढ़ें: महिला नागा साधु कैसे बनती हैं? केवल इस समय देती हैं दर्शन
सोने के कुएं से आता है जल
यह स्नान इसलिए भी खास होता है क्योंकि इसमें उपयोग होने वाला जल 'सोने के कुएं' से आता है. सोने का यह कुआं 4 से 5 फीट चौड़ा है और वर्गाकार है. इसमें नीचे की तरफ दीवारों पर पांड्य राजा इंद्रद्युम्न ने सोने की ईटें लगवाई थीं. यह सोने की ईंटें आज भी साफ नजर आती हैं. इस कुएं को करीब डेढ़ से दो टन वजनी सीमेंट और लोहे से बने ढक्कन से ढंककर रखा जाता है. साल में एक बार देवस्नान के लिए जल निकालने के मौके पर ही यह ढक्कन हटाकर सोने के कुएं से पानी निकाला जाता है.
पूरे साल गर्भगृह में ही करते हैं स्नान
ज्येष्ठ पूर्णिमा के स्नान को छोड़ दें तो पूरे साल भगवान को गर्भगृह में ही स्नान कराया जाता है. पूर्णिमा के स्नान के लिए मंदिर परिसर में बड़ा मंच लगाया जाता है. फिर 3 बड़ी चौकियों पर तीनों देवी-देवताओं को विराजित करते हैं. भगवान के शरीर पर कई तरह के सूती वस्त्र लपेटते हैं, ताकि उनकी काष्ठ काया पानी से बची रहे. फिर महाप्रभु को 35, बलभद्र जी को 33, सुभद्राजी को 22 मटकी जल से स्नान कराया जाता हैं. वहीं 18 मटकी सुदर्शन जी पर चढ़ाई जाती हैं. स्नान के लिए सबसे पहले सुदर्शन, फिर बलराम जी, सुभद्र बहन और अंत में महाप्रभु जगनाथ जी को मंडप में लाते हैं. इस तरह देवस्नान के लिए सोने के कुएं से कुल 108 मटकी जल निकाला जाता है.
... फिर भगवान को आएगा बुखार
जगन्नाथ मंदिर को लेकर परंपरा है कि देवस्नान के बाद महाप्रभु को बुखार आ जाता है. इसके चलते वो 15 दिन तक आराम करते हैं और किसी को दर्शन नहीं देते हैं. इस दौरान उनके अनन्य भक्त रहे आलारनाथ भगवान दर्शन देते हैं. इसके बाद पट खुलते हैं और फिर पुरी की मशहूर जगन्नाथ रथ यात्रा निकलती है. इस साल 7 जुलाई 2024 को रथ यात्रा से दो दिन पहले गर्भगृह भक्तों के लिए खुलेगा.