Jagannath Puri Khajana: जगन्‍नाथ मंदिर अपने चमत्‍कारों और रहस्‍यों के चलते हमेशा चर्चा में रहता है. इस समय पुरी का मशहूर मंदिर अपने खजाने के चलते चर्चा में है, जिसे 46 साल बाद खोला गया है. खजाने में रखे सारे सोने-चांदी के आभषूणों, कीमती रत्‍नों, समेत अन्‍य चीजों का रिकॉर्ड तैयार किया जा रहा है. जाहिर है यह खजाना बेशकीमती है और कई बार यह विवादों में भी रहा है. वैभवशाली जगन्‍नाथ मंदिर के इतिहास पर नजर डालें तो इस खजाने पर कई विदेशी आक्रमणकारियों की कुदृष्टि रही है. इसी के चलते पुरी के जगन्‍नाथ मंदिर पर कई बार हमले हुए और यहां के खजाने को लूटा गया. 


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कई बार हमले हुए पुरी मंदिर पर 


पुरी के विश्वप्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के पर कई बार बड़े हमले हुए हैं. इतिहास का अध्‍ययन करने वालों के अनुसार जगन्‍नाथ मंदिर पर 17 बार हमले किए जाने का रिकॉर्ड तो मिलता ही है. इसके अलावा भी कई छोटे हमले हुए और मंदिर व इसके खजाने को नुकसान पहुंचाने की कोशिशें की गईं. 


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अफगान का काला पहाड़ 


जगन्‍नाथ मंदिर पर हुए हमलों की बात करें तो साल 1340 से इस पर आक्रमणकारियों की बुरी नजर होने के रिकॉर्ड मिलते हैं. जगन्‍नाथ मंदिर पुरी पर यह हमला बंगाल के सुल्तान इलियास शाह ने किया था. उस वक्त ओडिशा, उत्कल प्रदेश के नाम से प्रसिद्ध था. हालांकि उत्कल साम्राज्य के नरेश नरसिंह देव तृतीय ने सुल्तान इलियास शाह से जबरदस्‍त युद्ध किया और वे भगवान जगन्नाथ की मूर्तियों को बचाने में सफल रहे. 
 
इसके बाद वर्ष 1360 में दिल्ली के सुल्तान फिरोज शाह तुगलक, वर्ष 1509 में बंगाल के सुल्तान अलाउद्दीन हुसैन शाह के कमांडर इस्माइल गाजी, वर्ष 1568 में काला पहाड़ नाम के अफगानी हमलावर ने हमले किए. हर बार हिंदुओं राजाओं ने इन आक्रमणकारियों से जमकर टक्‍कर ली. इसमें वे कभी हमलावरों को खदड़ने में सफल रहे तो कभी मंदिर की वास्‍तुकला, खजाने और मूर्तियों को नुकसान भी हुआ. काला पहाड़ के हमला भी ऐसा ही रहा. 


अकबर और औरंगजेब भी..  


1592 में ओडिशा के सुल्तान ईशा के बेटे उस्मान और कुथू खान के बेटे सुलेमान, वर्ष 1601 में बंगाल के नवाब इस्लाम खान के कमांडर मिर्जा खुर्रम ने भी हमले किए. इस बार मंदिर के पुजारियों ने मूर्तियों को भार्गवी नदी के रास्ते नाव के द्वारा पुरी के पास एक गांव कपिलेश्वर में छुपा दिया. इन हमलों के चलते भगवान की मूर्तियां लंबे समय से मंदिर से दूर रहीं. फिर भी मंदिर पर हमले होते रहे और इसके खजाने को लूटा जाता रहा. 


भगवान का मुकुट भी लूट लिया 


यहां तक कि साल 1611 में मुगल बादशाह अकबर के नवरत्नों में शामिल राजा टोडरमल के बेटे राजा कल्याणमल ने भी जगन्‍नाथ मंदिर पर हमला किया. तब भी मंदिर के पुजारियों ने जान की बाजी लगाकर मूर्तियों को बंगाल की खाड़ी में मौजूद एक द्वीप में छुपाया. इसके बाद वर्ष 1617 में दिल्ली के बादशाह जहांगीर के सेनापति मुकर्रम खान ने पुरी मंदिर पर हमला किया. तब भी पुजारियों ने मूर्तियों को छुपा दिया था. जब औरंगजेब को सफलता नहीं मिली तो उसने फिर से हमला करवाया और इस बार भगवान का सोने के मुकुट लूट लिया गया. इसके अलावा भगवान के कई कीमती आभूषण, सोने की मोहरें आदि भी लूटी गईं. 


इसके बाद भी साल 1699 में मुहम्मद तकी खान ने हमला किया. वह ओडिशा का नायब सूबेदार बना और उसके कार्यकाल के दौरान मूर्तियों को बार-बार शिफ्ट किया गया. खैर, इन सभी हमलों के बाद भी प्रभु जगन्‍नाथ का मंदिर अपने पूरे वैभव के साथ खड़ा है, जहां हर साल करोड़ों लोग दर्शन करने आते हैं. साथ ही हर साल प्रभु जगन्‍नाथ की भव्‍य और अलौकिक रथ यात्रा भी निकाली जाती है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)