Jaya Kishori: प्यार और शादी के बारे में क्या सोचती हैं जया किशोरी? कह ही दी मन की बात, आप भी जानिए क्या कहा उन्होंने
Jaya Kishori Motivational Thoughts: प्रख्यात कथावाचिका जया किशोरी इन दिनों सुर्खियों में हैं. अब उन्हें सच्चे प्यार के बारे में बात की है और बताया कि असल में सच्चा प्रेम कैसा होना चाहिए.
Jaya Kishori speech on love and marriage: प्रसिद्ध कथावाचिका जया किशोरी और मोटिवेशनल स्पीकर जया किशोरी इन दिनों जबरदस्त चर्चाओं में हैं. जब से बागेश्वर धाम के धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री (Dhirendra Krishna Shastri) के साथ उनकी शादी होने की चर्चा उड़ी है, तब से लोग दोनों के बारे में और जानना चाहते हैं. हालांकि धीरेंद्र कृष्ण और जया किशोरी इन सब बातों को बेकार की अफवाह करार दे चुके हैं लेकिन लोगों की दिलचस्पी दोनों में लगातार बनी हुई है. कथावाचिका जया किशोरी ने प्यार और शादी के बारे में अहम बातें कही हैं.
'जहां स्वार्थ होता है, वहां प्रेम नहीं होता'
वे कहती हैं कि जहां स्वार्थ होता है, वहां प्रेम (Jaya Kishori on Love and Marriage) नहीं होता और जहां प्रेम होता है, वहां स्वार्थ नहीं होता. आजकल रिश्ते जल्दी टूटने के मामले इसलिए आगे बढ़ रहे हैं क्योंकि उनमें प्रेम नहीं केवल स्वार्थ और इगो भरा है. जब आप अपने जीवनसाथी को छोड़ने के लिए तैयार हो जाएं, उसके बिना रहने का मन बना लें तो समझ लें कि अब दोनों के बीच प्रेम नहीं बचा. कई बार तो छोटी-मोटी अनबन या परेशानी आने पर लोग अलगाव का रास्ता अपना लेते हैं.
'संकट में साथी को छोड़ देने वाला फेल'
जया किशोरी कहती हैं कि आप सालभर कितना भी पढ़ लें लेकिन अगर परीक्षा में पास नहीं हुए तो आपकी सालभर की मेहनत बर्बाद हो जाती है. इसी तरह आप अपने पार्टनर के साथ खूब हंसी-खुशी रहें लेकिन संकट का वक्त आने पर उसे पल भर में छोड़ दें तो आप प्यार की परीक्षा में फेल हो जाते हैं. इसके चलते पति-पत्नी का रिश्ता टूटते हुए देर नहीं लगती और भरा पूरा परिवार बिखर जाता है.
'चीज टूटने पर फेंकना नहीं सुधारना चाहिए'
वे (Jaya Kishori on Love and Marriage) एक उदाहरण देते हुए बताती हैं कि एक बच्ची ने अपने दादा-दादी से पूछा कि आप इतने वर्षों से एक साथ कैसे रह रहे हो. कभी आपस में बोर नहीं होते क्या. एक दूसरे को छोड़कर जाने का मन नहीं करता. तब दादा-दादी ने बच्ची को बताया कि हमारे जमाने में जब कोई चीज टूट जाती थी तो उसे फेंका नहीं जाता था बल्कि सुधारा जाता था. लेकिन आजकल चीजों की तरह रिश्तों को उतारकर फेंक दिया जाता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)