Kaal Bhairav Puja: हिंदू कैलेंडर की तिथि के मुताबिक 22 नवंबर 2024 को इस साल काल भैरव की जयंति है. मान्यता के मुताबिक इस दिन काल भैरव की पूजा करने वालों की मान्यताएं पूरी होती है. मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि के मौके पर काल भैरव की पूजा जरुर करनी चाहिए क्योंकि इस दिन काल भैरव की जयंती मनाई जाती है.


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भगवान शिव के उग्र रूप हैं काल भैरव


मान्यताओं के मुताबिक काल भैरव को भगवान शिव का उग्र स्वरूप माना जाता है. भैरव का अर्थ है भय को हरने वाला या भय पर जीत हासिल करने वाला. ऐसे में काल भैरव रूप की पूजा से अकाल मृत्यु और अन्य किसी भी तरह के संकट का निवारण हो जाता है. तो आज हम जानते हैं कि कैसे करें काल भैरव की पूजा.


कब करनी चाहिए काल भैरव की पूजा ?


शिव पुराण की मान्यता के मुताबिक जब दिन और रात का मिलन होता है तब काल भैरव की पूजा करनी चाहिए. यानी कि काल भैरव की पूजा शाम के वक्त प्रदोष काल में करनी चाहिए. मान्यता है कि शिव के रौद्र रूप से इसी वक्त काल भैरव प्रकट हुए थे. ऐसे में इस समय जो भी व्यक्ति काल भैरव की पूजा करता है उसे मनवांछित फल की प्राप्ति होती है.


तांत्रिक लोग करते हैं निशिता काल में पूजा


इसके अलावा तांत्रिक पूजा जिसे कि तामसिक पूजा भी कहते हैं. यह पूजा रात्रि काल में की जाती है. सिद्धियों को प्राप्त करने वाले लोग (अघोरी, तंत्र-मंत्र करने वाले) काल भैरव की उपासना निशिता काल मुहूर्त में करते हैं. ऐसा करने से उन्हें जल्द से जल्द सिद्धियां प्राप्त होती है. 


बाबा भैरव के कितने रूप?


धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक भगवान भैरव के 8 रूप हैं. इनमें से काल भैरव का स्वरूप तीसरा है. भैरव से ही बाकी 7 अन्य रुप प्रकट हुए हैं. सभी रूपों को काम के हिसाब से नाम दिए हैं. उनके नाम, रुरु भैरव, संहार भैरव, काल भैरव, असित भैरव, क्रोध भैरव, भीषण भैरव, महा भैरव और खटवांग भैरव है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)