Kalbhairavashtak Lyrics: इस समय चुनावों का मौसम चल रहा है. राजनेता चुनावी सभाएं कर रहे हैं, मंदिरों के दर्शन कर रहे हैं. गुरुवार को गृहमंत्री अमित शाह ने अपने काशी दौरे के बीच बाबा कालभैरव के दर्शन किए और विशेष पूजा-अर्चना की. गृह मंत्री शाह काशी के कोतवाल बाबा कालभैरव के मंदिर पहुंचे और कालभैरवाष्टकम् पूजा की. गृह मंत्री ने चुनावों में जीत और देश की सुख-समृद्धि की प्रार्थना की. कालभैरवाष्टकम् पूजन के बाद उन्‍होंने परिक्रमा की और रक्षासूत्र बंधवाया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

बेहद ताकतवर होता है कालभैरवाष्टक स्‍त्रोत 


बाबा काल भैरव भगवान शिव के ही एक रूप हैं. वे शिव का रुद्रावतार हैं. उन्हें क्षेत्रपाल भी कहा जाता है. मान्यता है कि कालभैरव का निवास हिंदू तीर्थ काशी नगरी के तट पर है. आदि शंकराचार्य ने भगवान काल भैरव को प्रसन्न करने के लिए नौ श्लोकों के एक स्तोत्र की रचना की थी. इस स्‍त्रोत में 8 श्लोक कालभैरव की महिमा तथा स्तुति करने वाले हैं और नौंवा श्लोक फलश्रुति का है. इसी कारण नौ श्लोक होते हुए भी इसे कलभैरवाष्टक कहा जाता है.


कालभैरवाष्‍टक स्‍त्रोत पढ़ने के फायदे 


कालभैरवाष्‍टक स्‍त्रोत पढ़ने के कई फायदे हैं. यह सारे पापों और बुरे कर्मों के दुष्‍प्रभाव से बचाता है. कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करने वाले जातक को लालच, क्रोध और पीड़ा से मुक्ति मिलती है. साथ ही शनि और राहु-केतु के दोषों से भी निजात दिलाता है. कालभैरवाष्‍टक का पाठ करने से जीवन की सारी समस्‍याएं और बाधाएं दूर होती हैं. जो व्‍यक्ति कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र से भगवान शिव की स्तुति करता है, उससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं. नियमित रूप से कालभैरवाष्टकम् स्तोत्र का पाठ करने से कभी भी धन-संपत्ति की कमी नहीं होती है.


काल भैरव अष्टकम्


देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं
व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।
नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥


भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं
नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।
कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥


शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं
श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।
भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥


भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं
भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।
विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥


धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं
कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।
स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥


रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं
नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।
मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥


अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं
दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।
अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥


भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं
काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।
नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं
काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥