Kanwar Yatra Niyam: कांवड़ यात्रा में इन नियमों का पालन न करने पर करना पड़ता है शिवजी के क्रोध का सामना
Kanwar Yatra 2023: कांवड़ यात्रा को बहुत ही कठिन माना जाता है. कांवड़ यात्रा करने वाले व्यक्ति को बहुत से नियमों का पालन करना होता है. कहते हैं कांवड़ यात्रा कर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी होती है. आइए जानते कांवड़ यात्रा के नियम क्या होते हैं
Kanwar Yatra: सावन के पावन महीने की शुरुआत हो चुकी है. इसके साथ ही कांवड़ यात्रा भी शुरु हो गई है. इस दौरान शिवभक्त गंगातट से कलश में गंगाजल भरते हैं और कांवड़ पर बांधकर इसे शिवालय में लाते हैं और शिवलिंग पर गंगाजल अर्पित करते हैं. कांवड़ यात्रा को बहुत ही कठिन माना जाता है. कांवड़ यात्रा करने वाले व्यक्ति को बहुत से नियमों का पालन करना होता है. कहते हैं कांवड़ यात्रा कर शिवलिंग पर जल चढ़ाने से हर मनोकामना पूरी होती है. आइए जानते हैं कांवड़ यात्रा की शुरुआत किसने की औऱ क्या है इसके नियम
कांवड़ यात्रा कब से शुरु हुई?
मान्यताओं के अनुसार भगवान परशुराम ने सबसे पहले कांवड़ यात्रा की शुरुआत की थी. परशुराम गढ़मुक्तेश्वर धाम से गंगाजल लेकर आए थे और यूपी के बागपत के पास स्थित 'पुरा महादेव' का गंगाजल से अभिषेक किया था. उस समय सावन मास ही चल रहा था. मान्यता है कि श्रवण कुमार ने अपने माता-पित की इच्छा पूरी करने के लिए उनको कांवड़ में बैठाकर लेकर आए और हरिद्वार में गंगा स्नान करवाया था. इसके साथ ही श्रवण कुमार वापस आते वक्त गंगाजल भी लेकर आए थे और इसी जल से उन्होंने भोलेनाथ का जलाभिषेक किया था. कहते हैं इसी के बाद से कांवड़ यात्रा की शुरुआत हुई.
कांवड़ यात्रा के नियम
- कांवड़ यात्रा को लेकर कुछ नियम हैं जो बेहद कठिन होते हैं. कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए अपनी कांवड़ को जमीन पर नहीं रख सकते है.
- कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए बिना नहाए हुए कांवड़ को छूना पूरी तरह से वर्जित है.
- कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए किसी भी तरह का नशा जैसे भांग, मदिरा आदि. इसके साथ ही मांस, मछली जैसे किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन नहीं कर सकते..
- कांवड़ यात्रा के दौरान कांवड़िए कांवड़ को किसी पेड़ के नीचे भी नहीं रख सकते हैं. कांवड़ को ऐसे स्थान पर रखा जाता है जो जमीन से स्पर्श न हो.
- कांवड़िए को कांवड़ यात्रा के दौरान श्रंगार का सामान जैसे तेल, कंघी आदि का इस्तेमाल करने की भी मनाही होती है.
- कांवड़िए अपना कांवड़ किसी भी दूसरे व्यक्ति को नहीं दे सकते हैं. जिसने यात्रा शुरु की है उसे ही यात्रा पूरी करनी होती है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)