Kanya Pujan 2024: वैदिक पंचांग के अनुसार चैत्र महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को दुर्गा नवमी मनाई जाती है. इस दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है. कहा जाता है कि मां सिद्धिदात्री की पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है. आज के दिन लोग कन्या पूजन कर नवरात्रि के व्रत का पारण करते हैं. कहा जाता है कि जो लोग नवरात्रि के बाद कन्या पूजन करते हैं उनपर माता का आशीर्वाद सदैव बना रहता है.


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कन्या पूजन के नियम
कन्या पूजन केवल नवरात्रि में ही नहीं बल्कि हर शुभ कार्य में किया जाता है. कन्या पूजन करते समय कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी हो जाता है, अगर इन नियमों का पालन नहीं करंगे तो इसका पूर्ण फल कभी नहीं मिलेगा. आइए जानते हैं इन नियमों के बारे में.
 


- कन्या पूजन में कन्याओं को एक दिन पहले आमंत्रित किया जाता है. केवल 2 साल से लेकर 10 साल तक की कन्याओं को कन्या भोज के लिए आमंत्रित करना चाहिए.


धार्मिक मान्यताओं के अनुसार 
- 2 साल की कन्या को कुमारी माना जाता है.
- 3 वर्ष की कन्या को त्रिमूर्ति (देवी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती) माना जाता है.
- 4 वर्ष की कन्या को कल्याणी माना जाता है.
- 5 वर्ष की कन्या को रोहिणी माना जाता है.
- 6 वर्ष की कन्या को माता कालिका माना जाता है.
- 7 वर्ष की कन्या को चंडिका माना जाता है. 
- 8 वर्ष की कन्या को शांभवी माना जाता है.
- 9 वर्ष की कन्या को देवी दुर्गा माना जाता है.
- 10 वर्ष की कन्या को सुभद्रा माना जाता है.


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कन्या पूजन में कम से कम 9 कन्याएं जरूर होनी चाहिए. आप 9 से ज्यादा कन्याओं को खाना खिला सकते हैं लेकिन 9 से कम कन्या शुभ नहीं माना जाता है. 


कन्या पूजन में एक बटुक यानी लड़को को भी निमंत्रण देना चाहिए. 9 कन्याओं के साथ एक बटुक या लांगुर जरूर होना चाहिए.


कन्या पूजन और भोजन कराने के बाद सभी कन्याओं और बटुक को दक्षिणा या फिर कोई गिफ्ट जरूर देना चाहिए. 


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)