Kashi Vishwanath Mandir: मंदिर में पुजारी के वेश में पुलिसकर्मी! यह फैसला कितना सही कितना गलत?
Kashi Vishwanath Mandir: विश्वप्रसिद्ध काशी विश्वनाथ मंदिर में पुलिसकर्मियों की ड्रेस में बड़ा बदलाव किया गया है. अब वे कमोबेश पुजारी की तरह नजर आएंगे. इस फैसले पर खासी चर्चा हो रही है कि यह सही या गलत है.
Kashi Vishwanath Temple: वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर में दुनिया भर से श्रद्धालु आते हैं. उनकी सुरक्षा के लिए पूरे मंदिर परिसर में बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात रहते हैं. हाल ही में वाराणसी पुलिस कमिश्नर ने काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में तैनात पुलिसकर्मियों की ड्रेस में बदलाव किया है. नए आदेश के अनुसार गर्भगृह में तैनात पुलिसकर्मी पुजारियों की तरह गेरुआ धोती-कुर्ते और गले में रुद्राक्ष की माला पहने रहेंगे. साथ ही माथे पर त्रिपुंड लगाएंगे. वहीं महिला पुलिसकर्मी गेरुआ सलवार-कुर्ते में रहेंगी. इस फैसले पर खासी चर्चा हो रही है और इसे कुछ लोग सही तो कुछ लोग गलत बता रहे हैं.
...इसलिए लिया गया ये फैसला
काशी विश्वनाथ मंदिर में श्रद्धालुओं की संख्या में रिकॉर्ड तोड़ बढ़ोतरी हो रही है. ऐसे में कई बार दुर्व्यवहार या धक्का-मुक्की की शिकायतें आ रही थीं. इसके चलते मंदिर में अलग तरह की पुलिसिंग की व्यवस्था की जरूरत महसूस हुई. जिसके तहत काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में पुलिसकर्मियों को पुजारियों के वेश में तैनात किया गया है. इसके अलावा मंदिर में नो टच पॉलिसी भी लागू की गई है, इसके तहत अब पुलिसकर्मी भक्तों को लाइन में आगे बढ़ाने के लिए उन्हें ना तो धक्का देंगे, ना ही टच करेंगे. पुलिसकर्मियों की वेशभूषा में बदलाव के फैसले पर ज्योतिषाचार्य की क्या राय है आइए जानते हैं.
सकारात्मक है ये निर्णय
काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में पुलिसकर्मियों की पुजारियों जैसी वेशभूषा को लेकर ज्योतिषाचार्य पंडित शशिशेखर त्रिपाठी कहते हैं कि यह निर्णय उचित है. ज्योतिष की नजर से पुलिस दंडाधिकारी है और उसका संबंध क्रूर तत्व मंगल ग्रह से है. वहीं मंदिर और मंदिर का वातावरण देवगुरु बृहस्पति का प्रतिनिधित्व करते हैं. गुरु का संबंध धर्म, अध्यात्म से है. पुलिसकर्मियों के पुजारियों की वेशभूषा में रहने से मंगल तत्व घटेगा और गुरु तत्व बढ़ेगा. यह अच्छा है. धर्म स्थल में गुरु ग्रह का ही आधिपत्य ज्यादा होना चाहिए.
पथप्रदर्शक की भूमिका में है पुलिस
इसके अलावा पुलिस की भूमिका स्थान के अनुसार बदलती रहती है. इसका उदाहरण हम कोविडकाल में देख चुके हैं. जब पुलिस ने कोविड संक्रमितों को हॉस्पिटल ले जाने से लेकर अन्य जरूरी व्यवस्थाओं में भी अपना योगदान दिया था. इसी तरह मंदिर में पुलिस पथप्रदर्शक की भूमिका में है. वहीं उसका काम है कि सारे शिव भक्तों को वह अच्छे से भगवान शिव के दर्शन करने में मदद करे. साथ ही अनुशासन भी बनाए रखे. ऐस में उसकी ड्रेस में बदलाव होने से एक और भक्तों के मन में सकारात्मकता रहेगी. वहीं सुरक्षा की दृष्टि से भी कई बार पुलिस का रूप बदलकर रहना फायदा ही देता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)