Khatu Shyam Nishan Yatra: खाटू श्याम यानि कि कलयुग के श्री कृष्ण. पौराणिक मान्यता है कि खाटू श्याम भक्तों के कष्ट को तुरंत हर लेते हैं. महाभारत काल की पौराणिक मान्यताओं के मुताबिक खाटू श्याम को श्री कृष्ण की ओर से वरदान मिला था कि कलयुग में लोग आपको श्याम के नाम से जानेंगे. जिसके बाद से इनकी पूजा कृष्ण भगवान के रूप में होती है. भक्तों की ओर से श्याम बाबा यानि कि खाटू श्याम के लिए निशान यात्रा निकाली जाती है.


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बाबा हरते हैं सारे कष्ट


मान्यता है कि निशान यात्रा में जो भक्त शामिल होते हैं उसके सारे कष्ट खाटू श्याम बाबा हर लेते हैं. फाल्गुन महीने में निकलने वाली इस यात्रा का बहुत बड़ा महत्व है. निशान यात्रा एक तरह की पदयात्रा होती है. इसमें भक्तगण हाथो में श्री श्याम ध्वज को उठाकर खाटू श्याम जी की मंदिर तक पहुंचते हैं और यहां यही ध्वज उन्हें अर्पित कर दी जाती है.


किसे कहते हैं निशान यात्रा?


भक्तों की ओर ध्वज लेकर जो यात्रा की जाती है उसे निशान यात्रा कहा जाता है. यह यात्रा रींगस (राजस्थान के सीकर) से चलकर  खाटू श्याम मंदिर तक जाती है. यह यात्रा करीब 18 किलोमीटर की होती है. कई भक्त अपनी श्रद्धा के अनुसार इस यात्रा की शुरुआत अपने घर से भी करते हैं.


पौराणिक मान्यता है कि निशान यात्रा पैदल चलकर जाने और निशान ध्वज अर्पित करने से श्याम बाबा बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं. बाबा श्याम ऐसा करने वाले भक्तों की मनोकामना को पूर्ण करते हैं और मनवांछित फल देते हैं. सनातन संस्कृति में ध्वज लहराना विजय का प्रतीक माना जाता है. 


निशान यात्रा में ध्वज का रंग


निशान ध्वज का रंग केसरिया, नीला, सफेद और लाल रंग का होता है. इन पताकों पर खाटू श्याम और भगवान श्री कृष्ण की तस्वीर होती है. साथ ही जयकारे भी लिखे होते हैं. कुछ निशानों पर नारियल और मोरपंखी भी लागए जाते हैं. मौजूदा वक्त में भक्त अब सोने और चांदी के भी निशान खाटू श्याम बाबा को अर्पित किया जाने लगा है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)