Panchmukhi Hanuman की पूजा करने से मिलता है असीम लाभ, क्यों धारण किया था बजरंगबली ने ये रूप, जानें
हनुमान जी का पंचमुखी रूप तो आपने भी जरूर देखा होगा लेकिन हनुमान जी ने आखिर ये रूप क्यों धारण किया क्या इसका कारण जानते हैं आप? अगर नहीं तो यहां पढ़ें इसके पीछे की पौराणिक कथा क्या है.
नई दिल्ली: प्रभु श्रीराम के भक्त हनुमान जी, रुद्र अवतार माने जाते हैं. रुद्र, शिवजी (Lord Shiva) का ही एक रूप है. यही कारण है कि शिवजी की ही तरह हनुमान जी (Lord Hanuman) भी अपने भक्तों की भक्ति से बड़ी जल्दी प्रसन्न हो जाने वाले देवता हैं. हनुमान जी जिन्हें बजरंगबली (Bajrangbali) भी कहा जाता है वे अपने भक्तों के तमान कष्ट और संकटों को दूर करते हैं, इसलिए वे संकटमोचन भी कहलाते हैं. आपने भी हनुमान जी का पंचमुखी रूप तो जरूर देखा होगा. इसमें हनुमान जी के 5 मुख हैं जो अलग-अलग रूप वाले हैं और इनका महत्व भी अलग-अलग है. तो आखिर कैसे और क्यों लेना पड़ा हनुमान जी को ये पंचमुखी रूप, क्या है इसके पीछे की पौराणिक कथा और हनुमान जी के पंचमुखी रूप (Panchmukhi Hanuman) की पूजा-अर्चना करने से क्या लाभ होता है, इस बारे में यहां जानें.
पंचमुखी हनुमान जी के इस रूप का महत्व
हनुमान जी के पंचमुखी रूप के प्रत्येक स्वरूप में एक मुख, त्रिनेत्र और दो भुजाएं हैं. इन पांच मुखों में नरसिंह, गरुड़, अश्व, वानर और वराह रूप शामिल हैं. हनुमान जी का यह पंचमुखी स्वरूप क्रमश: पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और उर्ध्व दिशा का भी प्रतिनिधित्व (Five directions) करता हुआ माना जाता है. पूर्व की तरफ जो मुख है उसे वानर कहा गया है जिसकी चमक सैकड़ों सूर्यों के वैभव के समान है. ऐसी मान्यता है कि इस मुख का पूजन करने से शत्रुओं पर विजय पाई जा सकती है.
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पंचमुखी हनुमान का रूप लेने से जुड़ी पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के मुताबिक जब प्रभु श्रीराम और रावण का युद्ध चल रहा था उस दौरान जब रावण को ऐसा लगा कि वह युद्ध हारने वाला है तब उसने हार से बचने के लिए अपने भाई अहिरावण से सहायता मांगी. अहिरावण मायावी था और उसने अपने तंत्र-मंत्र से और माया प्रभाव से प्रभु श्रीराम की सेना को गहरी नींद में सुला दिया और राम-लक्ष्मण को बंधक बनाकर पाताल लोक लेकर चला गया. राम-लक्ष्मण को बचाने हनुमान जी पाताल लोक गए. पाताल लोक में अहिरावण ने पांच दीपक अलग-अलग दिशाओं में जला कर रखे थे. उसे यह वरदान प्राप्त था कि जो भी एक बार में इन पांचों दीपकों को बुझा देगा वही उसका वध कर पाएगा. हनुमान जी ने इन पांचों दीपक को एक साथ बुझाने के लिए पंचमुखी रूप धारण किया. उत्तर दिशा में वराह मुख, दक्षिण दिशा में नरसिंह मुख, पश्चिम में गरुड़ मुख, आकाश की तरफ अश्व मुख और पूर्व दिशा में हनुमान मुख. इसके बाद उन्होंने एक साथ सभी दीपकों को बुझा दिया और अहिरावण का वध करके भगवान राम और लक्ष्मण को मुक्त कराया.
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पंचमुखी हनुमान जी की पूजा के लाभ
- ऐसी मान्यता है कि जिस व्यक्ति के जीवन में कोई न कोई दिक्कत बनी रहती है उन्हें पंचमुखी हनुमान जी के दर्शन करने चाहिए और हर मंगलवार को उनकी पूजा और हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. ऐसा करने से बड़े से बड़े संकट दूर हो जाते हैं.
- घर में किसी तरह का वास्तु दोष हो तो उसे दूर करने में भी पंचमुखी हनुमान जी आपकी मदद कर सकते हैं. घर के दक्षिण पश्चिम हिस्से में पंचमुखी हनुमान जी की मूर्ति या चित्र लगाएं.
(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है. इन पर अमल करने से पहले किसी विशेषज्ञ से संपर्क करें)