Mahant Shankaranand Saraswati on Shahi Snan: यूपी के प्रयागराज में 13 जनवरी से महाकुंभ 2025 शुरू होने जा रहा है. 45 दिनों तक चलने वाला यह कुंभ मेला 26 फरवरी को संपन्न होगा. इस बार महाकुंभ में धर्म संसद, मुस्लिमों के दुकान लगाने पर बैन, मोहन भागवत के शिवलिंग ढूंढने पर दिए गए बयान समेत कई मुद्दे चर्चा में रहने वाले हैं. कुंभ में भाग ले साधुओं के अखाड़े इन मुद्दों पर मुखर हैं और खुलकर हिंदू समाज की ओर से अपनी राय व्यक्त कर रहे हैं. इन्हीं में से आनंद अखाड़ा के अध्यक्ष महंत शंकारानंद सरस्वती ने शाही स्नान, सनातन धर्म, कुंभ मेला समेत कई अन्य मुद्दों पर मंगलवार को अपनी बात रखी. आइए जानत हैं कि उन्होंने क्या कहा. 


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महाकुंभ में 'शाही स्नान' शब्द पर चल रहे विरोध के बारे में महंत शंकारानंद ने कहा कि शाही स्नान शब्द पर अगर कुछ ऐतराज है, तो मैं यह कहता हूं कि जब राजा-महाराजा लोग इसे सम्मान के साथ उपयोग करते थे, तो वह सही था. अब अगर लोगों को 'शाही स्नान' शब्द से आपत्ति है, तो 'अमृत स्नान' भी ठीक है. कोई भी शब्द अगर हमारी संस्कृति से जुड़ा हुआ है, तो उसमें कोई बुराई नहीं है.


'मोहन भागवत के बयान का समर्थन लेकिन..'


मोहन भागवत के बयान का समर्थन करते हुए महंत शंकारानंद ने कहा कि उनका सम्मान किया जाता है, लेकिन वह इस बात के पक्के हैं कि बयान की पूरी जानकारी और संदर्भ को जानकर ही कोई निर्णय लेना चाहिए. उन्होंने इस मुद्दे पर किसी भी राजनीतिक पक्षपाती बयानबाजी से दूर रहने की बात की. क्या सनातन धर्म खतरे में है, इस सवाल पर महंत शंकारानंद ने कहा कि सनातन धर्म कभी खतरे में नहीं हो सकता. वह मानते हैं कि जब भी कोई संकट आता है, तब कोई न कोई अवतार आता है.


कुंभ मेला क्षेत्र में मुस्लिम दुकानदारों और सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति पर भी महंत शंकारानंद ने अपनी राय रखी. उनका कहना था कि मुस्लिमों से कोई विरोध नहीं है, लेकिन पवित्रता को बनाए रखने के लिए कुछ प्रतिबंध जरूरी हैं. कुंभ में दुकानें लगाने की बात हो, तो हम यह मानते हैं कि हमें पवित्रता बनाए रखनी चाहिए. यदि किसी के कार्य हमारे धार्मिक विश्वासों से मेल नहीं खाते, तो ऐसे लोगों से हम अपनी पवित्रता को सुरक्षित रखने की कोशिश करते हैं.


'कुंभ में सभी नेताओं का स्वागत'


कुंभ में धर्म संसद के उद्देश्य पर उन्होंने बताया कि यह आयोजन हिन्दू राष्ट्र की परिकल्पना को लेकर विचार-विमर्श करने के लिए है और यह विषय हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह एक धार्मिक आयोजन है और इसका राजनीतिकरण नहीं होना चाहिए. हमारी मांग यह है कि धर्म, संस्कृति और आस्था की रक्षा की जाए.


महंत शंकारानंद ने गंगा के पानी को पवित्र बताते हुए कहा कि गंगा का पानी स्वाभाविक रूप से शुद्ध और स्नान योग्य है, लेकिन गंगा के संरक्षण के लिए कुछ ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है. इसके साथ ही उन्होंने धर्म और राजनीति को अलग रखने की बात की और कुंभ के आयोजन में सभी नेताओं का स्वागत किया.


'अखिलेश का कदम वोट बैंक की राजनीति'


आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल द्वारा पुजारियों और ग्रंथियों को 18 हजार रुपये मासिक देने की योजना को महंत शंकारानंद ने एक राजनीतिक घोषणा बताया. उन्होंने कहा कि राजनीति में ऐसे लुभावने वादों पर भरोसा नहीं किया जा सकता.


अखिलेश यादव द्वारा संभल हिंसा में पीड़ितों के परिजनों को दिए गए पांच-पांच लाख रुपये की मदद की महंत शंकारानंद ने आलोचना की. उन्होंने इसे राजनीतिक उद्देश्य से किया गया कदम बताया. इस तरह के कदम धर्मनिरपेक्षता की बजाय वोट बैंक की राजनीति को बढ़ावा देते हैं. कुंभ में हिंदू राष्ट्र का प्रस्ताव पास होने के सवाल पर महंत शंकारानंद ने कहा कि यह सरकार के हाथ में है. उन्होंने स्पष्ट किया कि यह केवल एक मांग हो सकती है, जबकि सरकार जब चाहे इसे पास कर सकती है.


(एजेंसी आईएएनएस)