नई दिल्ली : बिड़ला मंदिर (Birla Mandir) भारत के कई शहरों में बने हुए हैं. देश के अलग-अलग शहरों में बनाए गए इन मंदिरों की भव्यता देखने वाली है. भारत के पर्यटन (Indian Tourism Attractions) के मुख्य आकर्षण में बिड़ला मंदिरों का नाम भी आता है. देश-विदेश के सभी लोग इन मंदिरों में भगवान के दर्शन करने आते हैं. भारत की राजधानी नई दिल्ली में भी एक बिड़ला मंदिर है. इस मंदिर का उद्घाटन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने किया था.

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देवी लक्ष्मी यानी धन और संपत्ति की देवी और नारायण यानी देवी लक्ष्मी के पति और त्रिमूर्ति के पालक हैं भगवान श्री लक्ष्मीनारायण जिनकी उपासना से लोक परलोक दोनों संवर जाते हैं. दिल्ली के बिड़ला मंदिर में श्री लक्ष्मी-नारायण के अलावा चारों ओर भगवान कृष्ण, शिव, गणेश, हनुमान और बुद्ध को समर्पित अन्य मंदिर भी हैं.


बिड़ला मंदिर का इतिहास
बिड़ला मंदिर भारत के पुराने प्रमुख उद्योगपति बिड़ला परिवार द्वारा बनाए गए हैं. जिसे मूल रूप में 1622 में वीरसिंह देव ने बनवाया था, उसके बाद राजा पृथ्वीसिंह ने 1793 में इसका जीर्णोद्धार कराया. इसके बाद सन् 1938 में भारत के बड़े औद्योगिक परिवार बिड़ला समूह ने इसका विस्तार और पुनरुद्धार कराया था. जिसके बाद इसे बिड़ला मंदिर भी कहा जाता है.


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मंदिर की शैली और स्थान
मंदिर दिल्ली के मशहूर कनॉट प्लेस की पश्चिम दिशा में गोल मार्केट के पास मंदिर मार्ग पर स्थित है. तीन मंजिला बना हुआ यह मंदिर वास्तुकला के नागरा शैली में बनाया गया है. कहा जाता है बनारस के लगभग 100 कुशल कारीगरों द्वारा मंदिर की मूर्तियों की नक्काशी की.मंदिर की मूर्तियां जयपुर से लाए गए संगमरमर द्वारा बनाई गई थीं. मंदिर परिसर के निर्माण में मकराना, आगरा, कोटा और जैसलमेर का कोटा पत्थर का इस्तेमाल किया गया था.


महात्मा ने किया उद्घाटन
मंदिर की जो सबसे खास बात यह है वह यह है कि इसका उद्घाटन महात्मा गांधी ने किया था. महात्मा गांधी सभी धर्मों का सम्मान करते थे. इसलिए उन्होंने इस मंदिर के उद्घाटन इस शर्त पर किया था कि यह मंदिर सभी जातियों के लोगों के लिए खुला रहेगा.


बिड़ला मंदिर दिल्ली का एक प्रमुख पर्यटन स्थल भी है जो कि 7.5 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है. मंदिर परिसर में कई फव्वारे, मंदिर और मूर्तियां शामिल हैं. अगर आप वास्तुकला प्रेमी हैं तो आपको एक बार इस मंदिर के दर्शन करने के लिए अवश्य जाना चाहिए. मंदिर की आकर्षक वास्तुकला के अलावा यहां के कृत्रिम परिदृश्य और झरने इस मंदिर की सुंदरता में चार चांद लगाते हैं.


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