Lohri 2024: जानें क्यों मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार और क्या हैं सही नियम?
Lohri 2024 Significance: यह त्यौहार पंजाब, दिल्ली हरियाणा और उत्तर प्रदेश में रहने वाले पंजाबी हिन्दुओं द्वारा जनवरी महीने में मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है.
Lohri 2024: लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति और होली का मिला-जुला रूप है. यह त्यौहार पंजाब, दिल्ली हरियाणा और उत्तर प्रदेश में रहने वाले पंजाबी हिन्दुओं द्वारा जनवरी महीने में मकर संक्रांति से ठीक एक दिन पहले मनाया जाता है. कुछ लोगों के अनुसार इस त्यौहार का मूल नाम तिल-रेवड़ी था, जो बदलते-बदलते तिलोहाड़ी, तिलोहड़ी और फिर लोहड़ी बन गया. इस साल लोहड़ी 14 जनवरी को मनाई जाएगी.
लोहड़ी का महत्व
होली और दीपावली की तरह यह पर्व भी पंजाबी कौम के लिए महत्वपूर्ण होता है. खासकर लोहड़ी उनके घर मनायी जाती है, जिनके घर में नई बहू का आगमन या नवजात पुत्र-पौत्र का जन्म होता है. यह एक सामाजिक सांस्कृतिक पर्व है जो सामाजिक सौहार्द्र और एकता को प्रदर्शित करता है. लोहड़ी के दिन बच्चे घर-घर लोहड़ी मांगने जाते हैं, और सभी लोग अपनी क्षमतानुसार कुछ न कुछ उपहार भी अवश्य देते हैं. हर घर में एक से एक पकवान बनते हैं.
रेवड़ी, गुड़ का प्रसाद
घर के आंगन में या बगिया में या घर के सामने खुले हिस्से में पूजा के स्थान को झाड़-पोंछकर साफ किया जाता है तथा उस पर कच्चे दूध और घी के छींटे देकर उपले और आम की लकड़ियों का एक ढेर सजा दिया जाता है. संध्याकाल में आस-पड़ोस के लोगों के एकत्रित हो जाने पर उस ढेर में आग लगाई जाती है. सभी लोग हाथ में काले तिल लेकर आग के चारों तरफ घूमकर तिलों को आग में फेंकते जाते हैं और बोलते जाते हैं- 'दुःख, रोग, दलिद्दर जावै, लक्ष्मी आवै' तिल फेंकने के बाद आग में धान तथा मक्की का लावा, रेवड़ी, गुड़ आदि प्रसाद डाला जाता है. कार्यक्रम स्थल पर उपस्थित समस्त जन यही प्रसाद खाते हैं.
शुरू होती है फसलों की कटाई
नाच-गाना, हंसी-ठट्ठा पूरी मस्ती के साथ होता है. इस दिन ब्राह्मणों और निर्धनों को दान देने के साथ ही आत्मीय जनों के यहां उपहार भेजने का भी चलन है. लोहड़ी का पर्व किसानों के लिए भी बहुत महत्व होता है, किसान इस त्यौहार के साथ ही अपनी फसलों की कटाई शुरू करते हैं.