Lord Chitragupta: भैया दूज के दिन ही की जाती है भगवान चित्रगुप्त की पूजा, जानें क्यों और कैसे हुई उनकी उत्पत्ति
Lord Chitragupta Worship: भैया दूज के साथ ही भगवान चित्रगुप्त का भी पूजन किया जाता है.जो व्यक्ति इस दिन विधि विधान से भगवान चित्रगुप्त की पूजा करता है, उसे जीवन समाप्ति के बाद नरक की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती हैं.
Bhagwan Worship Puja: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में द्वितीया के दिन भैया दूज के साथ ही भगवान चित्रगुप्त का भी पूजन किया जाता है. इस दिन मनुष्यों के कर्मों का लेखा जोखा रखने वाले यमराज के सहयोगी भगवान चित्रगुप्त के साथ ही उनके प्रतीक कलम, दवात का पूजन भी किया जाता है. कहते हैं जो व्यक्ति इस दिन विधि विधान से भगवान चित्रगुप्त की पूजा करता है, उसे जीवन समाप्ति के बाद नरक की यातनाएं नहीं झेलनी पड़ती हैं.
यह है जन्म की कथा
स्कंद पुराण के अनुसार, एक बार ब्रह्मा जी के सामने उपस्थित होकर यमराज ने कहा कि हे प्रभु मेरा कार्य इतना अधिक बढ़ गया है कि उसे अब संभालना मुश्किल हो रहा है. मुझे कोई ऐसा सहयोगी दीजिए जो धार्मिक, न्यायी, बुद्धिमान, लेख कर्म में निपुण और वेद शास्त्रों का ज्ञाता हो. इसके बाद ब्रह्मा जी ध्यान मग्न हो गए और जब आंख खुली तो सामने कलम दवात लिए एक पुरुष को देख उनका परिचय पूछा तो तो उन्होंने कहा हाथ जोड़ कर कहा, हे प्रभु मैं अपने माता-पिता को तो नहीं जानता, किंतु आपके शरीर से मेरी उत्पत्ति हुई है. मेरा नामकरण कर मुझे मेरा काम बताएं. उनके आग्रह पर ब्रह्मा जी ने कहा कि मेरी काया से उत्पन्न होने के कारण तुम्हारा नाम कायस्थ चित्रगुप्त रहेगा और तुम यमराज के सखा बनकर मनुष्यों के कर्मों का लेखा-जोखा रखोगे. बाद में ब्रह्मा जी ने सुशर्मा ऋषि की कन्या इरावती और मनु की कन्या दक्षिणा से उनका विवाह कराया, जिनसे क्रमशः आठ व चार पुत्र हुए.
इस तरह की जाती है पूजा
एक साफ चौकी पर भगवान चित्रगुप्त के चित्र को स्थापित करने के बाद रोली, अक्षत, पुष्प, माला और मिष्ठान्न अर्पित करने के साथ ही एक कोरे कागज पर नए पेन से श्री गणेशाय नमः लिखने के बाद 11 बार ॐ चित्रगुप्ताय नमः और ब्रह्मा विष्णु महेश, राम सीता और राधा कृष्ण के नाम लिखने के बाद कागज और पेन का पूजन कर भगवान के चरणों में रखना चाहिए. इसके बाद अपनी अज्ञानता के कारण हुई गलतियों की क्षमा मांगते हुए विद्या, बुद्धि, व सुख समृद्धि के लिए प्रार्थना करें.
बिजनेस में लेखा-बही का किया जाता है पूजन
यूं तो अब फाइनेंशियल ईयर अप्रैल से मार्च तक होता है, इस नाते नए लेखा खाते अप्रैल में बनते हैं किंतु दीपावली पर द्वितीया के दिन बही बसना के पूजन का विधान आज भी कुछ पुराने व्यापारिक प्रतिष्ठानों में होता है. कहते हैं इस दिन भगवान चित्रगुप्त और बसी बसना का पूजन करने से व्यापार में तरक्की होती है.
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