Ganpati Bappa Morya: जब युद्ध करने आए शिवगणों को अंगभंग कर वापस भागने को मजबूर करने के बाद बालक गणेश ने ब्राह्मण वेशधारी विष्णु जी और ब्रह्मा जी को भी लौटा दिया और शिवगणों ने बताया तो कि उस बालक से जीत पाना किसी के भी वश में नहीं है. इस पर शिवजी भी भयंकर क्रोधित हो गए. उन्होंने प्रमुख गणों और इंद्र देवताओं को बुलाकर आदेश दिया, जैसे भी हो उस बालक को काबू में करो. अजीब स्थिति है, मेरे ही घर के द्वार पर बैठकर वह मुझ पर ही शासन करना चाहता है, कोई यह कैसे सह सकता है.


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युद्ध तो हुआ पर बहुत से शिवगण मृत्यु को प्राप्त हुए


शिवजी का आदेश पाते ही सभी देवता, वीर कार्तिकेय, शिव गण, भूत, प्रेत, पिशाच सभी तीखे शस्त्र लेकर वहां पहुंचे और पार्वती नंदन को घेर लिया, लेकिन यह क्या वह तो महाशक्ति के पुत्र थे. भयानक शस्त्र लिए इतने लोगों को देखकर भी वह विचलित नहीं हुए और शत्रुओं के सभी तरह के प्रहारों को निष्फल कर दिया. इतने तरह के अस्त्र-शस्त्र भी उनका कुछ बिगाड़ नहीं सके और ऐसा युद्ध किया कि सभी देवता, शिव गण, भूत, प्रेत, पिशाच को भी पीछे हटने को मजबूर कर दिया. सब के सब अपनी जान बचाते भाग खड़े हुए. इन सबकी भी वही दशा हुई जो पहले युद्ध करने आए शिवगणों की हुई. बहुत से लोग घायल हो गए और कुछ के तो अंग ही कट गए. खून की नदी बहने लगी. कटे हुए अंगों का भूमि पर ढेर लग गया और सारी जगह खून से लाल हो गई.


देवराज इंद्र का वज्र भी कुछ न कर सका


हमलों का बचाव करने में जब गणेश जी ने अपनी वही दिव्य छड़ी चलाई तो देवराज इंद्र का वज्र भी उसका कुछ नहीं कर सका और तारकासुर जैसे भयंकर दानव का वध करने वाले कुमार कार्तिकेय के भी सारे शस्त्र बेकार साबित हो गए. अकेले छोटे से बालक वह कर दिया था कि सभी देवता, गण चकित थे. उन्होंने ऐसी स्थिति न तो कभी किसी से सुनी थी और न ही कभी देखी थी. सभी ने दौड़कर शिवजी को पूरा किस्सा सुनाया.  


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