Mahashivratri 2024 Katha: हर साल फाल्गुन मास की चतुर्दशी तिथि को महाशिवरात्रि मनाई जाती है. आज यानी 8 मार्च को पूरे देशभर में धूमधाम से महाशिवरात्रि मनाई जा रही है. ये दिन भगवान शिव और माता पार्वती को प्रसन्न और उनका आशीर्वाद पाने के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार आज के दिन ही भोलेनाथ और माता पार्वती का विवाह हुआ था. 


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भगवान शिव के नाम
भोलेनाथ के कई नाम है. इनमें से महाकाल, आदिदेव, किरात, शंकर, चन्द्रशेखर, जटाधारी, नागनाथ, मृत्युंजय, त्रयम्बक, महेश, विश्वेश, महारुद्र, विषधर, नीलकण्ठ, महाशिव, उमापति, काल भैरव, भूतनाथ, त्रिलोचन, शशिभूषण काफी प्रचलित है. क्या आप जानते हैं भोलेनाथ को औघड़ दानी भी कहा जाता है. आइए जानते हैं क्या होता है औघड़ दानी का मतलब और शिव जी से जुड़ी रोचक कहानी.


 


औघड़ दानी का मतलब


औघड़ दानी का मतलब है जो देने में, किसी भी प्रकार का दान करने में कभी विचार न करें. आज के समय में कोई भी इंसान औघड़ दानी नहीं है. व्यक्ति कुछ भी देता हैं तो पहले यही सोचता है कितना देना चाहिए, मेरे पास कितना बचेगा, बच्चों को कितना मिलेगा. इस पूरे संसार में एक ही अघौड़ दानी है तो वो हैं देवों के देव महादेव यानी भगवान शिव. भोलेनाथ जब भी किसी को देते हैं तो कुछ विचार नहीं करते हैं. आइए जानते हैं इसे जुड़ी रोचक कहानी.


 


भस्मासुर की रोचक कथा


पौराणिक कथाओं के अनुसार भोलेनाथ के पास एक भक्त आया जिसका नाम भस्मासुर था. उसने महादेव से कहा कि मैं ऐसा वरदान चाहता हूं कि जिसके सिर पर मैं हाथ रखदूं वह भस्म हो जाए. भोलेनाथ ने बिना विचार किए तथास्तु कह दिया और उसको वरदान दे दिया. आशीर्वाद मिलने के बाद भस्मासुर की नजर माता पार्वती पर पड़ी और विचार किया कि ये स्त्री कितनी ज्यादा सुंदर हैं तो क्यों न इस वरदान का प्रयोग भगवान शिव से किया जाए. जैसे ही आशीर्वाद मिला, भस्मासुर ने कहा भोलेनाथ मुझे आपकी पत्नी दे दीजिए वरना हाथ आपके ऊपर रख दूंगा और आप भस्म हो जाएंगे. भोलेनाथ ने कहा इतनी छोटी सी बात, ठीक है पार्वती को ले जाओ. 


 


नारायण जी ने की मां पार्वती की रक्षा
मां पार्वती ने कहा भोलेनाथ आप क्या कर रहे हैं. इस पूरे दृश्य को देखते हुए भगवान नारायण सुंदर स्त्री का रूप लेकर आए और भस्मासुर से कहा पार्वती के पीछे क्या पड़े हो, मैं तुसमे शादी करने को तैयार हूं. भस्मासुर ने कहा तुम उनसे सुंदर हो कहा तुम ही मिल जाओ. स्त्री रूप धारण नारायण जी ने कहा कि लेकिन मेरी एक शर्त है जो मुझे ठुमके लगाकर दिखाएगा मैं उसके साथ शादी करुंगी. इसके बाद भस्मासुर ने ठूमके लगाए. नारायण जी ने कहा जैसे मैं लगाती हूं वैसे कर के दिखाओ. उन्होंने एक हाथ अपने सिर पर रखा और एक कमर पर. जैसे ही भस्मासुर ने अपने सर पर हाथ रखा तो खुद भस्म हो गया. नारायण जी ने इसके बाद कहा हे भोलेनाथ  वरदान देने से पहले विचार कर लिया किजिए. भोलेनाथ ने कहा जो विचार करे वो महादेव नहीं हो सकता है. 


 


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2. रावण की कहानी


जब लंका नगरी का निर्माण पार्वती ने अपनी जिद से करवाया, भोलेनाथ ने कहा अपने भाग्य में कुछ नहीं लिखा है. पार्वती जी ने कहा सबके पास अपना बैकुंठ, साकेतपुरी है; और मैं जबसे शादी कर के आई हूं तब से कैलाश पर्वत पर बैठी हूं. भोलेनाथ ने कुबेर को बुलवाकर सोने का महल तैयार करवाया. उस समय रावण धरती का सबसे विद्वान पंडित था. उसे वास्तु पूजन के लिए बुलवाया गया. महल को देखकर रावण अपना दिल हार बैठा. दक्षिणा की बात आई तो भोलेनाथ ने कहा बता क्या चाहिए रावण, उसने कहा हे भोलेनाथ जो मैं मांगू वो देंगे? ब्राहम्ण देव को खुश करेंगे?  रावण ने कहा कि महादेव ये महल मुझे देदीजिए. भोलेनाथ ने माता पार्वती को हंसते हंसते देखा और कहा देखा मैंने कहा था अपने भाग्य में कुछ नहीं है और रावण को महल दान में दे दिया.


 


जब रावण ने मांगा माता पार्वती का हाथ


रावण ने कहा इतना सुंदर महल आपने दिया इसमें रहने के लिए मुझे एक घरवाली भी चाहिए.  शिव जी ने कहा कोई स्त्री पसंद है तो बता रावण. जवाब देते हुए रावण ने कहा आपके बगल में बैठीं मा पार्वती पसंद है.  भोलेनाथ ने फिर बिना कुछ विचार करे रावण को कहा कि जा रावण लेजा. इसके बाद रावण ने माता पार्वती तो कंधे पर बिठाया और ले चला. इस स्थिति में मां पार्वती ने भगवान नारायण का स्मरण किया और वे ऋषि के रूप में प्रकट हो गए.


 


भगवान नारायण ने दिखाई अपनी माया


ऋषि रूप धारण किए भगवान नारायण ने रावण से कहा ये किसको लेकर जा रहे हो, इतने बड़े महापुरुष को ऐसी स्त्री पसंद आ रही है जिसमें से दूर से ही दुर्गंध आ रही है. नारायण ने कहा भोलेनाथ बहुत चतुर हैं उन्होंने नकली पार्वती दे दी हैं. भला कोई पति आपनी पत्नी को आसानी से कैसे किसी और को देदेगा. इसके बाद रावण विचार करने लगा. भगवान नारायण ने कहा कि असली पार्वती की पहचान ये है कि जिसमें बहुत दूर से ही खुशबू आ रही हो. नारायण ने ऐसी माया रची कि पार्वती में से दुर्गंध आने लगी. फिर रावण ने पूछा की असली पार्वती कहां हैं. नारायण जी ने कहा कि मय नाम का दानव है उसकी बेटी के रूप में भोलेनाथ ने असली पार्वती को छिपा रखा है. इस प्रकार रावण ने मनदोदरी से शादी कर ली.


 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)