नई दिल्ली: नवरात्र के सातवें दिन आज मां कालरात्रि (Maa Kalratri) की पूजा की जाती है. मां का यह रूप काफी विकराल और भयानक है लेकिन बहुत फलदायी है. आज के दिन साधक का मन 'सहस्रार' चक्र में प्रवेश कर जाता है. माता काली (Kali Mata) को 'शुभंकारी' (Shubhankari Mata) भी कहते है. सभी दानव, दैत्य, राक्षस, भूत, प्रेत आदि इनके स्मरण मात्र से ही भयभीत होकर भाग जाते हैं. माता कालरात्रि की पूजा करने से मनुष्य समस्त सिद्धियों को प्राप्त कर लेता है. मां की भक्ति से दुष्टों का नाश होता है और ग्रह बाधाएं दूर हो जाती हैं.


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मां कालरात्रि का स्वरुप
मां कालरात्रि का रूप देखने में अत्यंत भयानक है, भगवती दुर्गा के कालरात्रि स्वरूप में वर्ण काला, केश बिखरे और कंठ में विद्युत की चमक वाली माला है, मां के तीन नेत्र ब्रह्माण्ड की तरह विशाल हैं, जिनसे बिजली की भांति किरणें निकलती रहती हैं. माता की नासिका से अग्नि की भयंकर ज्वालायें निकलती रहती हैं.


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सृष्टि को जोड़ने वाली मां
मां का यह भय उत्पन्न करने वाला स्वरूप केवल पापियों का नाश करने के लिए है. मां अपने बच्चों को शुभ फल प्रदान करती है इसलिए शुभंकरी नाम से भी पुकारी जाती हैं. यह देवी काल रात्रि की महामाया और भगवान विष्णु की योगनिद्रा हैं और इन्होंने ही सृष्टि को एक दूसरे से जोड़ रखा है.


देवी काल-रात्रि का वर्ण काजल के समान काले रंग का है मां कालरात्रि के तीन बड़े बड़े उभरे हुए नेत्र हैं जिनसे मां अपने भक्तों पर अनुकम्पा की दृष्टि रखती हैं. देवी की चार भुजाएं हैं दायीं ओर की उपरी भुजा से महामाया भक्तों को वरदान दे रही हैं और नीचे की भुजा से अभय का आशीर्वाद प्रदान कर रही हैं.


बायीं भुजा में क्रमश: तलवार और खड्ग धारण किया है. देवी कालरात्रि के बाल खुले हुए हैं और हवाओं में लहरा रहे हैं. देवी काल रात्रि गर्दभ पर सवार हैं. ऐसा माना जाता है कि मां कालरात्री की पूजा हमें हरे रंग के वस्त्र पहनकर करनी चाहिए.


मां कालरात्रि का मंत्र: 
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी.
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तु ते..
जय त्वं देवि चामुण्डे जय भूतार्तिहारिणि.
जय सर्वगते देवि मां कालरात्रि नमोस्तु ते.


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बीज मंत्र


ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे.


सप्तमी पूजा के दिन तंत्र साधना करने वाले साधक आधी रात में देवी की तांत्रिक विधि से पूजा करते हैं तथा इस दिन मां की आंखें खुलती हैं. पूजा करने के बाद इस मंत्र से मां को ध्यान करना चाहिए-


एक वेधी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता.
लम्बोष्ठी कर्णिकाकणी तैलाभ्यक्तशरीरिणी..
वामपदोल्लसल्लोहलताकण्टक भूषणा.
वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णा कालरात्रिर्भयंकरी..


इस मंत्र जप के पश्चात भगवान शिव और ब्रह्मा जी की पूजा भी करनी चाहिए. इसके पश्चात आरती एवं प्रसाद ग्रहण करना चाहिए.