नई दिल्ली: वैसे तो हरिद्वार कुंभ 2021 (Haridwar kumbh 2021) की शुरुआत माघ पूर्णिमा के अवसर 27 फरवरी 2021 से हो रही है लेकिन आज 11 फरवरी 2021 को माघ अमावस्या जिसे मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2021) भी कहते हैं के मौके पर भी लाखों की संख्या में श्रद्धालु हरिद्वार में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं. इसके अलावा प्रयागराज में संगम किनारे चल रहे माघ मेले (Magh Mela 2021) का आज मौनी अमावस्या के अवसर पर तीसरा प्रमुख स्नान है. यहां भी आस्था की डुबकी लगाने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी तीर्थयात्री आते हैं. माघ महीने को कार्तिक मास की तरह पुण्य देने वाला महीना माना जाता है और माघ मास के सभी स्नान पर्वों में मौनी अमावस्या के स्नान (Mauni Amavasya Snan) को सबसे अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है.


मौनी अमावस्या पर ग्रहों का विशिष्ट योग


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इस साल मौनी अमावस्या के मौके पर ग्रहों का विशेष संयोग बन रहा है. इस दिन श्रवण नक्षत्र में चंद्रमा है और मकर राशि में एक साथ 6 ग्रहों सूर्य, चंद्र, बुध, गुरु, शुक्र और शनि की मौजूदगी से एक महासंयोग बन रहा है जिसे महोदय योग (Mahodaya Yoga) कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि महोदय योग में कुंभ में डुबकी लगाने और गंगाजल से स्नान करने से शुभ फल प्राप्त होता है. 10 फरवरी 2021 को रात 1 बजकर 48 मिनट से मौनी अमावस्या आरंभ हो रही है जो 11 फरवरी 2021 को रात 12 बजकर 37 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि होने की वजह से 11 फरवरी गुरुवार को पूरे दिन मौनी अमावस्या रहेगी और दिन में 2 बजकर 5 मिनट तक महोदय योग और पुण्य काल रहेगा. इस दौरान गंगा स्नान करना और बेहद शुभदायक रहेगा.


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मौनी अमावस्या पर स्नान-दान का महत्व


ऐसी मान्यता है कि माघ मास की अमावस्या तिथि को गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों में देवताओं का वास होता है इसलिए इस दिन नदियों में स्नान का विशेष महत्व होता है. साथ ही स्नान के बाद दान करना बेहद पुण्य देने वाला और शुभ माना जाता है और इस दिन किया गया दान-पुण्य सौ गुना ज्यादा फल देने वाला होता है. लिहाजा मौनी अमावस्या के दिन अपने सामर्थ्य अनुसार तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला, गर्म कपड़े आदि का दान करना चाहिए. साथ ही मौनी अमावस्या के दिन स्नान के बाद मौन व्रत रखकर पितरों का ध्यान करते हुए सूर्य देव को जल अर्पित करने से पितृ दोष से मुक्ति मिलती है. 


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मौनी अमावस्या पर मौन रहने का महत्व


माघ महीने की अमावस्या के दिन मन को शांत रखने के लिए मौन रहने की बात कही जाती है ताकि शांत मन से ईश्वर का ध्यान किया जा सके. ऐसा करने से बुरे ख्याल मन में नहीं आते और नकारात्मकता दूर रहती है. अगर कोई व्यक्ति मौन व्रत (Maun Vrat) नहीं रख सकता तो मौनी अमावस्या के दिन कम से कम किसी को बुरा-भला न कहें, गुस्सा न दिखाएं और जहां तक संभव हो शांत रहने की कोशिश करें. इस स्थिति में भी व्रत पूरा माना जाता है. 


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