Nag Yagya Hindi Story: महाभारत में राजा जनमेजय की कथा बहुत प्रसिद्ध है.  बता दें कि राजा जनमेजय पांडवों के पुत्र परीक्षित के पुत्र थे. प्राचीन काल में राजा जनमेजय का ही शासन था और वो ये बात जानते थे कि उनके पिता परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के काटने से हुई और इसी बात को लेकर वे बहुत ही क्रोधित हो गया. राजा जनमेजय ने नागों से बदला लेने के लिए नागदह यज्ञ करने का निर्णय किया. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जनमेजय के नागदाह यज्ञ की कथा


बता दें कि राजा जनमेजय के पिता परीक्षित एक बार शिकार पर गए . शिकार करते हुए वे ऋषि शमीक के आश्रम चले गए थे. वहां, पर ध्यान मग्न शमीक ने उन पर ध्यान नहीं दिया, तो परीक्षित ने उनके गले में मरा हुआ सांप डाल दिया और वापस लौट आए. जब इस वाक्य का पता उनके पुत्र ऋषि श्रृंगी को पता चला तो, उन्होंने परीक्षित को सात दिन में तक्षक नाग के काटने से मृत्यु का श्राप दे दिया, जिसके बाद राजा परीक्षित ने सात दिन भागवत सुनते हुए अंतिक दिन तक्षक नाग के काटने से प्राण त्याग दिए.   


50 साल बाद सूर्य ने बनाया ये बेहद 'खतरनाक योग' इन 5 लोगों की जिंदगी में आएगा परेशानियों का सैलाब
 


अपने पिता की मृत्यु का बदला लेने के लिए राजा जनमेजय धरती के सभी नागों को भस्म करने का संकल्प लिया. और इसके लिए नागदाह यज्ञ किया. यज्ञ के शुरू करते ही धरती पर मौजूद सभी नाग यज्ञ में गिरने लगे. यज्ञ के दौरान ऋषि-मुनि नागों के नाम  ले-लेकर आहुति दे रहे थे. इससे डर कर तक्षक नाग इंद्र देव के पास जाकर छिप गए. मुनि आस्तिक को जब इस नागदाह यज्ञ का पता चला तो वे यज्ञ स्थल पर पहुंचे. राजा जनमेजय ने मुनि को प्रणाम किया. तब मुनि आस्तिक ने राजा को ये नागदाह यज्ञ बनने करने को बोला. 


Raksha Bandhan 2024: साड़ी के आंचल के टुकड़े से बांधी गई थी पहली बार राखी, जानें कैसे हुई थी रक्षा बंधन की शुरुआत


 


मुनि के बोलने के बाद भी राजा ने ये यज्ञ बंद करने से मना कर दिया. लेकिन ऋषियों के समझाने के बाद राजा जनमेजय मान गए. इस तरह मुनि आस्तिक की वजह से नाग भस्म होने से बच गए.  


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)