Navratri 2022 Maa Brahmacharini: ब्रह्मचारिणी का अर्थ तप का आचरण करने वाली होता है. मां ब्रह्मचारिणी का स्वरूप अत्यंत तेजमय और भव्य है. इनके वस्त्र श्वेत हैं. मां ब्रह्मचारिणी के दाहिने हाथ में जप की माला और बाएं हाथ में कमंडल है. जो इंसान अध्यात्मिक आनंद की कामना रखते हैं, उन्हें इस देवी की पूजा से सबकुछ प्राप्त होता है. भक्ति भाव से नवरात्रि के दूसरे दिन मां ब्रह्मचारिणी की पूजा करने से सुख, आरोग्य की प्राप्ति होती है. इससे मन प्रसन्न रहता है और उन्हें किसी भी प्रकार का भय नहीं सताता है.


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मां ने की घोर तपस्या


मां ब्रह्मचारिणी का जन्म पूर्व में राजा हिमालय के घर में पुत्री रूप में हुआ था. उस समय देवर्षि नारद के उपदेश के बाद मां ने मन ही मन भगवान भोलेनाथ को अपना पति मान लिया था. ऐसे में मां ने भगवान शंकर को पति रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तपस्या की थी. उनकी इसी तपस्या के कारण इन्हें तपस्चारिणी अर्थात ब्रह्मचारिणी नाम से पुकारा गया. 


फल, शाक का किया सेवन


पौराणिक कथाओं के अनुसार, जब मां भगवान भोलेशंकर को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं. उस दौरान एक हजार वर्ष तक केवल फल, मूल का ही सेवन किया. इसके बाद सौ वर्षों तक केवल शाक पर निर्वाह किया था. कठिन तपस्या के कारण मां ने बारिश, धूम के साथ कई कष्ट सहन किए थे. 


तीनों लोकों में हाहाकार


हजारों सालों तक किए गए उनकी इस कठोर तपस्या के कारण मां का शरीर क्षीण हो उठा. उनकी इस तपस्या से तीनों लोकों में हाहाकार मच गया था. देवता, ऋषि सभी देवी सभी इस तपस्या की सराहना करने लगे थे. इसके बाद ब्रह्मा जी की आकाशवाणी हुई और भगवान शंकर को पति के रूप में पाने की उनकी मनोकामना पूर्ण होने की बात कही. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)