Neelam Ratan Benefits: कुंडली में शनि को पॉवर देने के लिए नीलम रत्न धारण किया जाता है, यह रत्न काफी महंगा होता है फिर भी कई बार उसका पूरा लाभ नहीं मिल पाता है वरना कहा तो यह जाता है कि नीलम लोगों को आसमान पर चढ़ा देता है या फिर नीचे भी गिरा देता है. पूरा लाभ न मिल पाने की कुछ खास वजहें होती हैं, कहीं ऐसा तो नहीं कि आप परिवार में उससे जुड़े किसी रिश्ते की उपेक्षा कर रहे हैं. 


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कुंडली के विभिन्न ग्रहों को पॉवर देने के लिए रत्न धारण करने का प्रावधान है, रत्नों का संबंध पारिवारिक रिश्तों से भी होता है इसलिए यदि किसी व्यक्ति को कोई रत्न धारण करने का सुझाव दिया गया है तो उन्हें रत्न के साथ ही संबंधित रिश्ते के संबंध में भी जानना जरूरी है. कहीं ऐसा तो नहीं है कि आपने रत्न धारण कर लिया और फिर भी वह लाभ नहीं मिल रहा है जो आप चाहते हैं. रत्न का पूरा लाभ लेने के लिए आपको उस रत्न से संबंधित रिश्ते को भी महत्व और सम्मान देना होगा. कहीं ऐसा न हो कि आपने रत्न तो धारण कर लिया है किंतु अनजाने में आप उस रिश्ते को अपमानित कर रहे हैं जिसका संबंध उस रत्न से है. इस लेख में हम बात करेंगे नीलम की और जानेंगे कि किस ग्रह को प्रसन्न करने के लिए नीलम धारण किया जाता है और नीलम का संबंध किस पारिवारिक या सामाजिक रिश्ते से है.


शनिदेव का रत्न है नीलम 


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शरीर के स्थूल, सूक्ष्म, जड़, चेतन आदि घटकों का संबंध विभिन्न ग्रहों से सतत बना रहता है. शनिदेव प्रकृति के अधिष्ठाता तथा पृथ्वी तत्व के प्रधान ग्रह हैं, इन्द्रिय गम्य सभी पदार्थ इनके अंतर्गत आते हैं. नीलम रत्न शनि का रत्न है. शनि ग्रह की किरणें नीले रंग की होती हैं और यह रत्न भी इसी रंग का होता है.


नीलम आसमान पर चढ़ा देता है


कहते हैं नीलम रत्न जिसे भी फल देता है, तुरंत फल देता है और बहुत अधिक लाभ देता है. इस फल को इस रूप में कहा जाता है कि जिसे सूट करता है उसे आसमान पर चढ़ा देता है और जिसे नहीं सूट करता है उसे नीचे उतार देता है. इसीलिए इसे पहनने में विशेष और अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए. नीलम एक महंगा रत्न है. 


शनि तो न्याय के देवता हैं, किसी के साथ पक्षपात नहीं करते


नीलम रत्न के देवता शनि हैं. इन्हें न्याय का देवता भी कहा जाता है और वे न्याय करते हुए किसी का भी पक्षपात नहीं करते हैं. यहां तक कि वे न्याय करते हुए संबंधों का लिहाज भी नहीं करते हैं और गलती करने वाले को दंडित अवश्य करते हैं इसीलिए उन्हें दंडाधिकारी भी कहा जाता है. वे दंडात्मक कार्रवाई करने में कोई हिचक नहीं करते हैं भले ही न्याय पाने के लिए कटघरे में उनके पिता सूर्य ही क्यों न खड़े हों. शास्त्रों में ऐसा उल्लेख मिलता है कि उन्होंने अपने पिता सूर्य पर भी दृष्टि डाल दी थी. दंडात्मक कार्रवाई करने के कारण ही समाज में उनका भय है. यही कारण है कि कई बार शनि को लेकर डरा दिया जाता है, भ्रम फैला दिया जाता है जबकि वास्तविकता यह है कि शनिदेव तो न्यायप्रिय हैं, वे गलती करने वालों को ही दंड देते हैं.


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परिवार में सेवक का प्रतिनिधित्व करते हैं शनि


शनि परिवार में सेवक का प्रतिनिधित्व करते हैं,  मनुष्य शरीर में पैर का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसीलिए बड़ों के चरण स्पर्श करने का प्रावधान है, उनकी सेवा करनी चाहिए. इसका उद्देश्य है कि व्यक्ति में विनम्रता बनी रहे. प्रजातांत्रिक व्यवस्था का स्वामी भी शनि ही है और आम जनता का प्रतिनिधित्व भी शनि ही करता है. नीलम महंगा रत्न है, इसे धारण करने वाले को सामाजिक सेवा में आना चाहिए और सेवकों के प्रति सम्मान व्यक्त करना चाहिए. रास्ते में यदि कभी कोई घायल मिल जाए तो उसकी सेवा करने से पीछे न हटें. स्टेशन पर लोगों का बोझ उठाने वाले कुली, सवारी ढोने वाले रिक्शा चालक आदि मेहनत-मजदूरी का पैसा मांगें तो उनसे कभी मोल-तोल न करें. रिक्शे वाला घर तक छोड़ने आए तो उसे कम से कम पानी के लिए तो अवश्य पूछें. पुराने समय में सेवकों का नाम नहीं लिया जाता था उन्हें घर के लोग काका-काकी, चाचा-चाची, दादा-दादी, भैया-दीदी आदि के रूप में संबोधित करते थे. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)