Katas Rajmandir: 5000 साल पुराना है पाकिस्तान का ये हिंदू मंदिर, जहां सती की याद में भोलेनाथ के गिरे थे आंसू!

Hindu Temple In Pakistan: पाकिस्तान में स्थित कई हिंदू मंदिर जग प्रसिद्ध हैं. इन्हीं में से एक कटास राजमंदिर में इन दिनों लोगों में चर्चा का विषय बना हुआ है. बता दें कि इस मंदिर में सती के याद में भगवान शिव के आंसू गिरे थे और इन्हीं आसूंओं से तालाब का निर्माण हुआ था. इसे कटाक्ष कुंड के नाम से जाना जाता है. जानें पाकिस्तान में स्थित इस मंदिर के बारे में खास बातें.

शिल्पा जैन Wed, 20 Dec 2023-9:15 am,
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क्यों प्रसिद्ध है कटास राजमंदिर

पाकिस्तान में 5000 साल पुराना एक हिंदू मंदिर इन दिनों खूब चर्चा में बना हुआ है. इसका कारण है पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के चकवाल में स्थित कटास राजमंदिर में 55 तीर्थयात्री दर्शन को पहुंचे हैं. बता दें कि इस परिसर में सात या इससे ज्यादा मंदिर हैं, जिसे सतग्रह के रूप में भी जाना जाता है. जानें इस मंदिर की खासियत. 

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कटास मंदिर का पौराणिक महत्व

कटास राजमंदिर दुनियाभर के मंदिरों में खूब फेमस है. मंदिर को लेकर ऐसा माना जाता है कि जिस तालाब के चारों ओर ये मंदिर बना हुआ है, वे भगवान शिव के आंसूओं से भरा है. कहते हैं कि यहां भगवान शिव अपन पत्नी के साथ रहते थे. सती की मृत्यु के बाद भगवान शिव दुख में डूब गए और अपने आंसू नहीं रोक पाए. वे सती की याद में इतना रोए की ये तालाब उनके आंसूओं से भर गया. मंदिर में स्थित इस कुंड को कटाक्ष कुंड के नाम से जाना जाता है. बता दें कि कटास का अर्थ होता है आंखों से आंसू निकलना.

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यहां 12 साल रहे थे पांडव

मान्यता है कि कटास राज वे जगह है, जहां 12 साल पांडव भाई वनवास के दौरान रहे थे. जंगलों में घूमते हुए जब पांडवों को प्यास लगी, तो उनमें से एक पांडव कटास कुंड के पास जल लेने आए. उस समय इस कुंड पर यक्ष का अधिकार था.  तब यक्ष ने सवाल का जवाब देने के बाद ही कुंड से जल लेने को कहा था. पांडव यक्ष के सवालों का सही जवाब न दे सके और सभी वहीं मूर्छित हो गए. आखिर में वहां युधिष्ठर आए. तब उन्होंने अपनी बुद्धिमता का जवाब देते हुए, सभी सवालों के सही जवाब दिए. 

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कटास मंदिर का एतिहासिक महत्व

पाकिस्तान में स्थित इस मंदिर में लगभग 900 साल पहले बने बौद्ध स्तूप, हवेलियां और मंदिर शामिल है. इनमें से ज्यादातर मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं, तो कुछ मंदिर भगवान श्री राम और हनुमान जी को समर्पित हैं. इतना ही नहीं, मंदिर के अंदर एक प्राचन गुरुद्वारे के अवशेष भी मिलते हैं. इस मंदिर में गुरु नानक ने दुनिया भर में यात्रा करते समय निवास किया था. 

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शिवरात्रि पर एकत्रित होते हैं लोग

मंदिर से जुड़ी कई आस्था की कहानी के चलते अलग-अलग मौकों पर हिंदू लोग इस मंदिर में एकत्रित होते हैं. खासतौर से शिवरात्रि के मौके पर यहां खूब भीड़ देखने को मिलती है. हालांकि इस समय यहां मंदिर कोई मूर्ति नहीं है लेकिन फिर भी लोग यहां पांडव भाइयों के बलिदान की स्मृति में यहां आते हैं और भगवान शिव के दुख की वंदना करते हैं. ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर के तालाब में स्नान करने मात्र से ही व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है. 

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