Premanand Maharaj: प्रेमानंद महाराज ने बताया भगवान से हमारा क्या संबंध है? पिता-पुत्र का दिया उदाहरण
Premanand Maharaj ka Pravachan: प्रेमानंद जी भक्तों के सवालों और समस्याओं का अपने विचारों के साथ सरल सा जवाब देते हैं. इसी के चलते एक भक्त ने महाराज जी से पूछा कि हमारा भगवान से क्या संबंध है. इस पर प्रेमानंद जी ने एक उदाहरण देकर बहुत सुंदर जवाब दिया. आइए जानते हैं प्रेमानंद जी ने क्या कहा.
Premanand Maharaj Ji: प्रेमानंद गोविंद शरण महाराज वृंदावन के एक मशहूर कथावाचक हैं. महाराज जी सत्संग में अपने विचारों से कई लोगों का मार्गदर्शन करते हैं. इनके सत्संग में शामिल होने के लिए लोग दूर-दूर से आते हैं. विराट कोहली, अनुष्का शर्मा, मोहन भागवत समेत कई सारी बड़ी हस्तियां भी प्रेमानंद जी के पास जा चुके हैं. सोशल मीडिया पर इनके विचारों की कई वीडियो वायरल होती रहती हैं जो लोगों को काफी पसंद आती हैं.
भक्त ने पूछा सवाल
प्रेमानंद जी भक्तों के सवालों और समस्याओं का अपने विचारों के साथ सरल सा जवाब देते हैं. इसी के चलते एक भक्त ने महाराज जी से पूछा कि हमारा भगवान से क्या संबंध है. इस पर प्रेमानंद जी ने एक उदाहरण देकर बहुत सुंदर जवाब दिया. आइए जानते हैं प्रेमानंद जी ने क्या कहा.
पिता-पुत्र और दुकानदार का दिया उदाहरण
प्रेमानंद महाराज जी ने भक्त का जवाब देते हुए पिता-पुत्र और दुकानदार का उदाहरण दिया. उन्होंने कहा कि दुकानदार के पास जाओगे कि कुछ मीठा खाने के लिए देदो, वो सवाल करेगा कि कितना चाहिए, तुम कहोगे कि पेट भरने के लिए देदो. फिर वो सवाल करेगा कि कितने में पेट भरेगा, तुम कहोगे की एक किलो देदो और फिर दुकानदार 500 रुपये मांगेगा. वहीं, दूसरी ओर अपने पिता के पास जाओगे कि कुछ खिला दो, वह पैसों के लिए नहीं पूछेगा, क्योंकि बेटे हो. उसी तरह भगवान भी पिता की तरह हैं.
भगवान से बालक की तरह मांगना चाहिए
वहीं कुछ लोगों की सोच है कि 11 हजार रुपये का भगवान का भोग लगादो, हमारा काम हो जाएगा. प्रेमानंद जी ने इसे गलत बताया और कहा कि भगवान महालक्ष्मी को हृदय से लगाते हैं. अगर आपको अगर कुछ मांगना है तो सीधा मांगो जैसे बालक अपने पिता से मांगता है. अगर उन्हें उचित लगेगा तो देदेगा और नहीं लगेगा तो नहीं देगा. अगर बालक गंदे विचारों के साथ पिता से पैसे मांगेगा तो वह नहीं देगा क्योंकि गंदगी में पैसे खर्च कर देगा.
भगवान हमेशा हित चाहते हैं
भगवान पिता हैं और देवता दुकानदार. पिता से अधिकारपूर्वक मांगा जाता है और दुकान में पैसे देकर लिया जाता है. पिता सदैव अपने बच्चे का हित चाहता है. प्रेमानंद जी कहते हैं उसी तरह भगवान भी अपने शरण में आए भक्तों का हित चाहते हैं. उनसे मांगो और उनपर ही छोड़ दो, जो अच्छा होगा वैसा होगा. मनुष्य चाहता है कि वह कर्म करके ही भोगों को भोगूं, लेकिन भगवान ऐसा नहीं होने देते हैं. महाराज जी कहते हैं कि मनुष्य को शरीर भगवान की प्राप्ति और जीवन मुक्त होने के लिए मिला है.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)