नई दिल्ली: हिन्दू धर्म में पूजा (Puja) का विशेष महत्व है और हर घर में पूजा घर भी होता है. अपने देवी-देवताओं का पूजन करना सिर्फ रोजाना की दिनचर्या का हिस्सा नहीं है, बल्कि यह अपनी आत्मा, दिमाग, सोच और इच्छाओं को ईश्वर को समर्पित कर देने का एहसास है. हर भक्त अपने हिसाब से पूजा करता है लेकिन सबका एहसास एक ही होता है.


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पूजन सामग्री
मंदिर चाहे घर का हो या बाहर का, वहां पूजा करने के लिए कुछ चीजों की आवश्यकता सभी को पड़ती है. आप उसे पूजा का डिब्बा, पूजा बॉक्स (Puja Box) या पूजा ट्रे (Puja Tray), चाहे जो कहते हों, उसमें 7 चीजें जरूर होनी चाहिए. यह भी समझने की बात है कि पूजन की हर सामग्री के साथ हमारी आस्था और विश्वास जुड़ा होता है और हर चीज का अपना खास महत्व भी है. माई पूजा बॉक्स की को फाउंडर कावेरी सचदेव से जानिए, पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली चीजों और उनके महत्व के बारे में.


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भगवान की मूर्ति
हर देवी-देवता को लेकर सबकी अपनी श्रद्धा होती है. आपके इष्ट देव कोई भी हों, आप किसी भी देवी-देवता की आराधना करते हों पर आमतौर पर हर घर में भगवान गणेश और भगवान कृष्ण की मूर्तियां जरूर पाई जाती हैं. जहां भगवान गणेश समझदारी, ज्ञान और विवेक के लिए जाने जाते हैं तो वहीं श्रीकृष्ण को उनके प्यार, दया और सहृदयता के लिए माना जाता है. मान्यता है कि श्रीकृष्ण की मूर्ति रखने से शांति का एहसास होता है. इन दोनों के अलावा घरों में मां लक्ष्मी, मां दुर्गा, मां पार्वती-गणेश की साथ वाली तस्वीर या मूर्ति आदि भी रखी जाती हैं.


पूजा की घंटी
आम तौर पर मंदिर में घुसते समय या पूजन के दौरान हिंदू घंटी जरूर बजाते हैं. घंटी की आवाज को खास और शुभ माना जाता है. यह भी मान्यता है कि घंटी बजाने के साथ भक्त भगवान को अपने आने की सूचना देते हैं.


दीया, अगरबत्ती और धूपबत्ती
पारंपरिक तौर पर पूजा के दौरान मिट्टी के दीए इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है. दीया को ज्ञान, प्रबोधन, बुद्धिमत्ता का सूचक माना जाता है. वहीं, अगरबत्ती को जलाकर पूजा के दौरान गोल-गोल घुमाए जाने की भी परंपरा है. अगरबत्ती और धूपबत्ती को पूजा की आवश्यक सामग्री में गिना जाता है और ये वातावरण की शुद्धि के काम भी आती हैं. इसके साथ ही इनके इस्तेमाल से माहौल में सुगंध भी फैल जाती है.


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मिठाई और मेवा
मिठाई खुशियों और संपन्नता का प्रतीक हैं. पूजा के समापन के बाद देवी-देवताओं को मिठाई और मेवा अर्पित की जाती है. उसके बाद ही उन्हें भक्तों में प्रसाद स्वरूप बांटा जाता है. माना जाता है कि पूजन और मंत्रों के उच्चारण के बाद शरीर की ऊर्जा कुछ कम हो जाती है और मिठाई व मेवा से शरीर की ऊर्जा को जाग्रत किया जाता है.


मौली, गंगाजल, अक्षत और रोली
हिंदू धर्म में गंगाजल को पवित्र माना गया है. हालांकि सभी भक्तों के पास हर समय गंगाजल की उपलब्धता नहीं होती है. ऐसे में वे पूजा के दौरान एक ग्लास साफ पानी तो अवश्य रखते हैं. यह शुद्धता का प्रतीक है. अक्षत यानी कि कुमकुम से रंगा हुआ खड़ा चावल (बिना टूटा), इसका इस्तेमाल देवी-देवताओं के स्वागत स्वरूप किया जाता है. वहीं, पूजन के बाद मौली को कलाई पर बांधा जाता है. मान्यता है कि इससे आत्मा शुद्ध होती है. रोली या कुमकुम से माथे पर तिलक लगाया जाता है और माना जाता है कि इसे लगाने से प्रबोधन (Enlightenment) का रास्ता खुल जाता है.


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चंदन, सुपारी, कपूर, लौंग और हल्दी
माथे पर चंदन का पेस्ट लगाने से शरीर की तंत्रिकाओं (Nerves) को ठंडक मिलती है. इसे पूजन की अहम सामग्री माना गया है. हल्दी के द्वारा भक्तों को पृथ्वी और देवी-देवताओं की आवृत्तियां (Freqencies) हासिल करने में मदद मिलती है. कपूर का इस्तेमाल आमतौर पर आरती में किया जाता है. इसके द्वारा नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर माहौल को सकारात्मक बनाया जाता है. सुपारी इंसानों के देवी-देवताओं के प्रति समर्पण का सूचक मानी जाती है. वहीं, लौंग के एंटीबैक्टीरियल गुणों के द्वारा स्वास्थ्य लाभ हासिल किए जाते हैं.


घी और हवन सामग्री
घी और धूप, चंदन, हल्दी, हवन सामग्री आदि शुद्धता का प्रतीक हैं. इनके इस्तेमाल से आस-पास का वातावरण और लोग शुद्ध हो जाते हैं.


रोजाना पूजा करने से दिमाग, शरीर और आत्मा शुद्ध रहती है. इससे नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और सकारात्मकता का प्रवाह होता है. पूजन सामग्री की मदद से पूजा का महत्व बढ़ जाता है.


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