Putrada Ekadashi Fast 2022: सावन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के नाम पर व्रत रखने का विधान है. इस बार यह एकादशी 8 अगस्त को पड़ रही है. इस दिन भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र का पूजन करने के बाद व्रत रखते हुए वेदपाठी ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दान आदि देकर संतुष्ट कर उनका आशीर्वाद लेकर विदा करें.


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पूरा दिन भगवान का ध्यान करने के साथ ही भजन कीर्तन में बिताएं और रात में भगवान की मूर्ति के पास ही सोएं. इस तरह से व्रत रखने वाले निःसंतान दंपती की गोद भगवान विष्णु के आशीर्वाद से जल्द भी भरती है और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है.


लोमश ऋषि ने राजा महीजित से कराया था व्रत


प्राचीन काल में महिष्मनी नगरी में महीजित नामक राजा राज्य करता था. राजा अत्यंत धर्मात्मा, शांतिप्रिय और दान-पुण्य के काम में लगा रहता था, किंतु इस बात से दुखी था कि उसके कोई संतान नहीं है.


एक बार राजा अपने राज्य के सभी ऋषियों की सभा बुलाई और उनका यथोचित सम्मान कर पुत्र प्राप्त का उपाय पूछा. इस पर परम ज्ञानी लोमश ऋषि ने बताया कि राजन पिछले जन्म में सावन मास में एकादशी के दिन आपने अपने तालाब से प्यासी गाय को पानी पीने से हटा दिया था. उसी के शाप से आपके कोई संतान नहीं हो रही है. अब आप सावन मास में एकादशी के दिन भगवान विष्णु का नियमानुसार व्रत रखें और रात्रि जागरण करते हुए भजन कीर्तन करें तो पुत्र अवश्य ही प्राप्त होगा.


राजा महीजित ने लोमश ऋषि द्वारा बताए उपाय के अनुसार ही सावन मास के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन व्रत किया तो निश्चित समय के बाद उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई. तभी से सावन मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी कहा जाने लगा.


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