Ramayan Story in Hindi: प्रभु श्रीराम की आज्ञा से वानर युवराज अंगद दूत बनकर लंका पहुंचे, जहां उसकी भेंट रावण के पुत्र से हो गई. दोनों में बातों के बीच विवाद हुआ तो अंगद ने उसका पैर पकड़ कर जमीन पर पटक दिया. ये देख सब भयभीत हो गए और पूरी लंका में शोर मच गया कि लंका को जलाने वाला वानर फिर से आ गया है. अंगद आगे बढ़ने लगे और लंका वाले उसके बिना पूछे ही रावण के दरबार की राह इशारे से बताने लगे. अंगद भी श्रीराम का स्मरण करते हुए सीधे रावण के दरबार के मुख्य द्वार पर जाकर रुके और इधर उधर देखने लगे. द्वार पर उपस्थित राक्षस से कहा कि जाओ और जाकर रावण को बताओ की श्रीराम का दूत आया है. राक्षस तुरंत ही अंदर गया और सूचना दी तो रावण ने हंसते हुए कहा कि जाओ बुला लाओ, देखूं कहां का बंदर है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अंगद को देखते ही रावण के दरबारी खड़े हो गए


रावण की आज्ञा पाते ही बहुत से राक्षस द्वार की तरफ दौड़े और हाथी के समान विशालकाय शरीर वाले अंगद को बुला लाए. गोस्वामी तुलसीदास जी रामचरित मानस में लिखते हैं कि उनकी भुजाएं विशाल वृक्ष के समान और सिर पर्वतों के शिखर के समान. शरीर का एक एक रोयां लताओं के समान दिख रहा था. बिना किसी डर और संकोच के बालि पुत्र अंगद रावण के दरबार में पहुंचे तो उन्हें देखते ही रावण की सभा के सभासद खड़े हो गए. इस दृश्य को देखकर रावण बहुत क्रोधित हुआ.


अंगद ने रावण से कहा सीता जी को वापस कर दो, श्री राम क्षमा कर देंगे


रावण ने पूछे अरे बंदर तू कौन है. इस पर जवाब देते हुए अंगद ने कहा कि हे दशग्रीव. मैं श्री रघुवीर का दूत हूं और मेरे पिता से तुम्हारी मित्रता थी, इसलिए हे भाई मैं तुम्हारी भलाई के लिए आया हूं. तुम्हारा उत्तम कुल है और तुम पुलस्त्य ऋषि के पौत्र हो. शिव जी और ब्रह्मा जी के भक्त हो. लोकपालों और सभी राजाओं को तुमने जीता है. तुम मोह या घमंड में जानकी जी को उठा लाए हो, इसलिए उन्हें वापस कर दो. प्रभु श्री राम तुम्हें क्षमा कर देंगे. 


अपनी निःशुल्क कुंडली पाने के लिए यहाँ तुरंत क्लिक करें