Lord Ram Kundli: श्री रामजी की कुंडली के ग्रह जिस स्थिति में विराजमान हैं वह स्थिति निश्चित रूप से बहुत ही दिव्य है. श्रीराम के अवतार का मुख्य उद्देश्य असुरीय शक्तियों के आतंक से पृथ्वी को मुक्त कराना था. जिसके लिए उन्हें निरंतर गतिमान रहते हुए कई लोगों का उद्धार भी करना था. प्रभु श्री राम को अयोध्या से लेकर लंका तक की यात्रा करनी थी. इसलिए विधाता ने 12 लग्नों में से वह लग्न चुनी जिसमें चलने की शक्ति सर्वाधिक हो.


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राम जी कुंडली में चंद्रमा का स्थान


वह चर लग्न कर्क है. कर्क लग्न में अवतार लेते ही उनके स्वामी चंद्र देव हो गए, उनका पूरा नाम भी श्रीरामचंद्र है. चंद्रमा उनके लिए बहुत ही महत्वपूर्ण हो जाता है. चंद्रमा मन का कारक है यही मर्यादित रखने के लिए मुख्य भूमिका निभाते हैं, कुंडली में यह चंद्रमा उच्च के गुरु के साथ है. चंद्रमा का गुरु का सानिध्य पाना गजकेसरी योग तो बनाता ही है साथ ही मर्यादित भी रखता है. 


कुंडली में गजकेसरी योग


श्रीराम ने अपने जीवन काल में गुरु का सानिध्य कभी नहीं छोड़ा, गुरु कृपा और गुरु सेवा में सदैव तत्पर रहे. स्वग्रहीय चंद्र और उच्च के गुरु एक साथ होना उत्तम गजकेसरी योग बनाता है, जो श्री राम को विपरीत परिस्थितियों में भी सहनशीलता और धैर्य की कमी नहीं होने देता.  


सूर्य ग्रह का अहम स्थान


श्रीराम सूर्यवंशी थे और उनकी कुंडली में सूर्य भी रणभूमि के स्थान पर उच्च के हैं. यह उन्हें बिना राज्याभिषेक के राजा बनाता है. यश को बढ़ाने वाले सूर्य का बल सदैव प्राप्त रहा. जब रावण का वध करने में असमर्थ हो रहे थे तब उन्होंने आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ किया जिसके उपरांत रावण का वध करते हुए पृथ्वी को असुरीय शक्ति से मुक्त कराया.  


राहु का स्थान


राहु कुंडली के पराक्रम भाव में बैठ कर राम की भुजाओं के बल को बढ़ाते हैं. राहु श्रीराम की भुजाओं के बल है. श्रीराम की सेना में पराक्रम भरने का कार्य करते हैं. श्री हनुमान ने श्रीराम को सुग्रीव से मित्रता कराकर मित्र भाव में बैठे उच्च के मंगल का कर्तव्य, निष्ठा के साथ निभाया.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)