Coronation Preparations of Sri Ram started with the order of Guru Vashishth: लंका विजय से लौट कर प्रभु श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण जी का अयोध्या में बहुत जोरदार स्वागत हुआ. माताओं ने उनकी आरती उतारी, उनके साथ लंकापति राजा विभीषण, वानर राज सुग्रीव, नल, नील, जामवंत और युवराज अंगद तथा हनुमान जी भी मनुष्यों के मनोहारी शरीर धारण कर उपस्थित हुए और सभी ने आपस में चर्चा करते हुए भरत जी का भाई के प्रति प्रेम, सुंदर त्याग, संकल्प और नियमों को मानने की प्रशंसा की. 


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प्रभु श्री राम ने एक एक कर अपने वनवासी मित्रों का परिचय गुरु वशिष्ठ से कराते हुए बताया कि बिना इन सबके सहयोग के राक्षसों को मार पाना मुश्किल था. उन्होंने यहां तक कहा कि यह सब मुझे भरत से भी अधिक प्रिय हैं. माता कौशल्या ने भी उन सब को पुत्रवत मानते हुए आशीर्वाद दिया. सभी वनवासी मित्रों को अतिथि गृह में भेजने के बाद प्रभु श्री राम अपने महल की ओर चले तो अयोध्या वासी इस अलौकिक दृश्य को देखने के लिए घरों की छतों पर चढ़ गए और इस अलौकिक दृश्य और प्रभु श्री राम को देखने लगे.


सभी लोगों ने सोने कलशों को मणि रत्न आदि से सजा कर अपने अपने दरवाजे पर रख दिया. सभी लोगों ने मंगल के लिए दरवाजों पर वंदनवार, ध्वजा और पताकाएं लगा दीं. नगर की हर गली में सुगंध का छिड़काव कर दिया गया. स्त्रियां इधर उधर खड़े होकर उन पर न्योछावर करने लगीं तो युवतियां सोने के थाल में आरती करने को व्याकुल हो गईं.



श्री राम के महल की ओर जाने पर अनेक शुभ शकुन होने लगे


राम चरित मानस में गोस्वामी तुलसीदास जी लिखते हैं कि शिव जी कहते  हैं कि यह सारा दृश्य देख कर सरस्वती जी भी वर्णन नहीं कर पाती हैं. तब भला मनुष्य उनके गुणों को कैसे कह सकते हैं. स्त्रियां कुमोदिनी हैं, अयोध्या सरोवर है और श्री रघुनाथ जी का विरह सूर्य है, इस विरह के ताप से वे मुरझा गई थीं किंतु विरह रूपी सूर्य के अस्त होते ही श्री रामचंद्र रूपी पूर्ण चंद्र को निरख कर खिल उठी हैं. अनेक प्रकार के शुभ शकुन होने लगे, आकाश में नगाड़े बजने लगे और श्री राम नगर के स्त्रियों और पुरुषों को अपने दर्शन देकर अपने महल को चले गए.


 
प्रभु ने जान लिया कि माता कैकेयी लज्जित महसूस कर रही हैं


शिव जी ने कहा, हे भवानी प्रभु श्री राम ने जान लिया कि माता कैकेयी लज्जित महसूस कर रही हैं इसलिए वह राजमहल में प्रवेश करते ही सबसे पहले माता कैकेयी के महल में पहुंचे और उन्हें हर तरह से समझा कर सुख पहुंचाने का काम किया. फिर श्री हरि  ने अपने महल की ओर प्रस्थान किया.


गुरु वशिष्ठ की आज्ञा से शुरू हुई राजतिलक की तैयारी


इस बीच गुरु वशिष्ठ  ने ब्राह्मणों को बुलवाया और कहा कि आज शुभ घड़ी, सुंदर दिन और सभी शुभ योग हैं. आप सब आज्ञा दें ताकि श्री रामचंद्र राज सिंहासन पर विराजमान हों. ब्राह्मणों ने भी कहा कि श्री राम का राज्याभिषेक पूरे जगत को आनंद  देने वाला है  इसलिए इस काम में अब देरी नहीं करना चाहिए.  


 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 


 


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