Prabhu Ram: भगवान राम का जीवन कई बार उतार-चढ़ावों से भरा है. पहले तो पिता का वचन निभाने के लिए 14 साल के वनवास पर गए. इसके बाद वनवास में लंकापति रावण ने माता सीता का हरण कर लिया. तब प्रभु राम को सीता जी को छुड़ाने के लिए रावण से युद्ध करना पड़ा और उसका वध करना पड़ा. हालांकि लंका तक पहुंचना भी आसान नहीं था. इसके लिए प्रभु राम को अपनी पूरी वानरसेना के साथ कई योजन चौड़ा समुद्र पार करना पड़ा था. लेकिन समुद्र पार करने से पहले एक पल ऐसा भी आया था जब प्रभु राम क्रोधित हो गए थे. 


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क्‍यों क्रोधित हो गए थे प्रभु राम? 
  
वाल्मिकी रामायण के अनुसार जब लंका पार करने के लिए समुद्र में पत्‍थरों से सेतु बनाने का कार्य प्रारंभ हुआ तो पत्‍थर डूब जाते थे. इससे वानरसेना हताश हो गई. भगवान राम ने 3 दिन तक समुद्र से रास्‍ता देने के लिए आग्रह किया लेकिन समुद्र देव ने उनका आग्रह नहीं माना. तब भगवान राम क्रोधित हो गए और उन्होंने सागर को सुखाने के लिए ज्यों ही अपने दिव्य वाण को धनुष पर चढ़ाया तो सागर भगवान राम के चरणों में आ गिरा और क्षमा मांगी.


फिर समुद्र ने बताया सेतु बनाने का तरीका 


समुद्र देव की क्षमायाचना देख भगवान राम शांत हुए और उन्‍होंने समुद्र को क्षमा कर दिया. इसके बाद समुद्र ने भगवान राम को सेतु बनाने का तरीका बताया. समुद्र ने बताया कि आपकी वानर सेना में नल और नील नाम के 2 वानर भगवान विश्वकर्मा के पुत्र हैं. साथ ही उन्‍हें भगवान विश्वकर्मा से शिल्पकला विरासत में मिली है. यदि नल और नील समुद्र में पत्‍थर फेकेंगे तो पत्थर डूबेंगे नहीं, साथ ही मैं पत्थर को लहरों में बहने नहीं दूंगा. इसके बाद नल और नील ने हर पत्‍थर पर राम लिखकर समुद्र में फेंकने शुरू किए. इससे 5 दिन में राम सेतु बनकर तैयार हो गया और फिर पूरी वानरसेना इस सेतु के जरिए समुद्र पार करके लंका पहुंची. इसके बाद युद्ध हुआ और रावण मारा गया. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)