Ramcharitmanas and Panchatantra in Unesco: गोस्‍वामी तुलसीदास द्वारा रचित रामचरितमानस और पंचतंत्र की कथाएं अब यूनेस्‍को की धरोहर होंगी. प्राचीन रामचरितमानस की सचित्र पांडुलिपियां और पंचतंत्र दंतकथाओं की 15वीं शताब्दी की पांडुलिपि एशिया-प्रशांत को यूनेस्को के 'मेमोरी ऑफ द वर्ल्ड रीजनल रजिस्टर' के साल 2024 के संस्‍करण में शामिल किया गया है. ये एशिया पैसिफिक की ऐसी ही 20 धरोहरों में शामिल हैं. 


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मंगोलिया की जनरल मीटिंग में हुआ फैसला 


अधिकारियों ने सोमवार को बताया कि यह निर्णय एशिया और प्रशांत क्षेत्र मामलों की विश्व स्मृति समिति (एमओडब्ल्यूसीएपी) की 10वीं आम बैठक में लिया गया, जो 7 से 8 मई तक मंगोलिया की राजधानी उलनबटोर में हुई. इस बैठक में तुलसीदास द्वारा लिखे गए महाकाव्‍य रामचरितमानस की सचित्र पांडुलिपियों, सहृदयालोक-लोकन की पांडुलिपि: भारतीय काव्यशास्त्र का एक मौलिक पाठ, और पंचतंत्र दंतकथाओं की 15 वीं शताब्दी की पांडुलिपि को इस सूची में शामिल किया गया .


वैश्विक सांस्‍कृतिक दस्‍तावेजों का संरक्षण 


विश्व निकाय ने 8 मई को एक बयान में कहा कि 10वीं आम बैठक की मेजबानी मंगोलिया के संस्कृति मंत्रालय, यूनेस्को के लिए मंगोलियाई राष्ट्रीय आयोग और बैंकॉक स्थित यूनेस्को क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा की गई. यह वर्ष एमओडब्ल्यूसीएपी क्षेत्रीय रजिस्टर 'मानव अनुसंधान, नवाचार और कल्पना' थीम पर है. इस बैठक में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) के कला निधि प्रभाग के डीन (प्रशासन) एवं विभाग प्रमुख रमेश चंद्र गौड़ भी मौजूद रहे.


आईजीएनसीए के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'रामचरितमानस और पंचतंत्र को इस लिस्‍ट में शामिल करना भारत के लिए एक गौरवपूर्ण क्षण है, जो देश की समृद्ध साहित्यिक विरासत और सांस्कृतिक विरासत की पुष्टि करता है. यह वैश्विक सांस्कृतिक संरक्षण प्रयासों में एक कदम आगे बढ़ने का प्रतीक है जो विविध आख्यानों को पहचानने और उनकी सुरक्षा करने के महत्व पर प्रकाश डालता है.'