Rangbhari Ekadashi 2024: भारतवर्ष में फाल्गुन माह की होली वैसे तो 25 मार्च को मनाई जाएगी लेकिन मथुरा, वृंदावन और काशी एक ऐसी जगह है जहां पर होली की शुरुआत कुछ दिन पहले से ही हो जाती है. मथुरा और वृंदावन की होली का जुड़ाव भगवान कृष्ण और उनकी प्रिय राधा से है. ठीक वैसे ही काशी की होली भगवान शिव और उनकी प्रिय माता पार्वती से है. 


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भगवान शिव ने रंगभरी एकादशी के दिन मां पार्वती से विवाह के बाद गौना करा कर काशी लाया था. जिस खुशी में वहां के निवासियों ने भोले बाबा और माता पार्वती का स्वागत रंगों से किया था. तभी से ही रंगभरी एकादशी के नाम से होली की शुरुआत हो गई. आइए विस्तार में रंगभरी एकादशी के महत्व और पूजा के विधि विधान के बारे में जानें.


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जानें काशी की एकादशी वाली होली के बारे में


काशी नगरी में 20 मार्च यानी की एकादशी के दिन से ही होली की शुरुआत हो जाती है. इस दिन को विश्वनाथ श्रृंगार दिवस के रूप में भी मनाया जाता है. आज ही के दिन भगवान शिव और उनके पूरे परिवार यानी माता पार्वती, भगवान गणेश और कार्तिकेय भगवान की विधि विधान से पूजा अर्चना के बाद विशेष रूप से श्रृंगार किया जाता है. 


इसके बाद इन्हें हल्दी और तेल चढ़ाने की रस्म को पूरा कर चरणों में अबीर और गुलाल चढ़ाया जाता है. इसके बाद शाम के समय में भगवान शिव की चांदी की मूर्ति को पालकी में बैठाया जाता है. फिर सभी भक्त मिलकर शहर में रथ यात्रा निकालते हैं. रंगोंभरी एकादशी के दिन सभी मंदिरों में रंग और गुलाल उड़ाने का रिवाज है, जिसे इस दिन किया जाता है. इस दिन की भव्यता देखते ही बनती है, जिसे देश और विदेश के कोने कोने से लोग देखने के लिए आते हैं.


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रंगभरी एकादशी के दिन व्रत में ऐसे करें पूजा


इस दिन सुबह उठकर स्नान कर के साफ वस्त्र धारण करें. जिसके बाद जल से आचमन कर व्रत करने का संकल्प लें. अब घर के मंदिर में एक लकड़ी की चौकी पर भगवान शिव और माता पार्वती को विराजमान कराएं.


अब चंदन, इत्र, मैवा, मिठाई, फल और फूल के साथ गुलाल अर्पित करें. जिसके बाद शिव चलीसा का पाठ करें. एकादशी का दिन भगवान विष्णु के स्तुति का दिन भी होती है इसलिए इनकी भी पूजा अर्चना करें.


रंगभरी एकादशी मनाने के पीछे है माता पार्वती का आगमन


पौराणिक मान्यताओं के अनुसार फाल्गुन माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को ही भगवान शिव माता पार्वती को गौना करा कर अपनी नगरी काशी लेकर आए थे. जिसकी खुशी में काशी के लोगों ने रंगों को उड़ा कर उनका भव्य स्वागत किया था. एकादशी के दिन माता पार्वती के साथ भगवान शिव का नाता तो है ही साथ ही इस दिन को भगवान विष्णु के लिए भी जाना जाता है. यही वजह है कि इस दिन व्रत रखने से फल दोगुना प्राप्त होता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)