Ravivar Upay: रविवार को कर लें ये छोटे-छोटे काम, बीमारियों से मिलेगी मुक्ति, तुरंत मिलेगा पूजा का फल
Suryashtakam Path And Mantra: रविवार का दिन सूर्य देव की पूजा को समर्पित है. सूर्य देव की आराधना करने से व्यक्ति को बीमारियों से छूटकारा मिलता है. साथ ही, समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है.
Sunday Remedies: शास्त्रों के अनुसार कलयुग में सूर्य देव ही एक ऐसे देवता हैं, जो नियमित रूप से भक्तों को साक्षात दर्शन देते हैं. ऐसे में सूर्य देव की कृपा पाने के लिए रोजाना उन्हें स्नान के बाद जल अर्पित कर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य देव की पूजा से व्यक्ति को जीवनशक्ति, मानसिक शांति, ऊर्जा और जीवन में सफलता की प्राप्ति होती है. व्यक्ति को सूर्य देव की कृपा से मान-सम्मान की प्राप्ति होती है. शरीर को बीमारियों से छुटकारा मिलता है.
अगर देखा जाए, तो योग में भी सूर्य नमस्कार को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. शास्त्रों में कहा गया है कि अगर आप किसी देवी-देवता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो उसके लिए मंत्र जाप सबसे उत्तम उपाय है. कहते हैं कि अगर मंत्र जाप सही विधि और सच्चे मन से किया जाए, तो जीवन में कई तरह के लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आपके परिवार में कोई व्यक्ति लंबे समय से पीड़ित है, तो सूर्य के आरोग्य दायक मंत्र का जाप किया जा सकता है.
सूर्य आरोग्य मंत्र
ऊँ नम: सूर्याय शान्ताय सर्वरोग निवारिणे।
आयु ररोग्य मैस्वैर्यं देहि देव: जगत्पते।।
सूर्याष्टकम् पाठ
श्री सूर्याष्टकम्
आदिदेव नमस्तुभ्यं प्रसीद मम भास्कर।
दिवाकर नमस्तुभ्यं प्रभाकर नमोऽस्तु ते॥1॥
सप्ताश्व रथमारूढं प्रचण्डं कश्यपात्मजम्।
श्वेत पद्माधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥2॥
लोहितं रथमारूढं सर्वलोक पितामहम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥3॥
त्रैगुण्यश्च महाशूरं ब्रह्माविष्णु महेश्वरम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥4॥
बृहितं तेजः पुञ्ज च वायु आकाशमेव च।
प्रभुत्वं सर्वलोकानां तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥5॥
बन्धूकपुष्पसङ्काशं हारकुण्डलभूषितम्।
एकचक्रधरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥6॥
तं सूर्यं लोककर्तारं महा तेजः प्रदीपनम् ।
महापाप हरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम्॥7॥
तं सूर्यं जगतां नाथं ज्ञानप्रकाशमोक्षदम्।
महापापहरं देवं तं सूर्यं प्रणमाम्यहम् ॥8॥
सूर्याष्टकं पठेन्नित्यं ग्रहपीडा प्रणाशनम्।
अपुत्रो लभते पुत्रं दारिद्रो धनवान् भवेत्॥9॥
अमिषं मधुपानं च यः करोति रवेर्दिने।
सप्तजन्मभवेत् रोगि जन्मजन्म दरिद्रता॥10॥
स्त्री-तैल-मधु-मांसानि ये त्यजन्ति रवेर्दिने।
न व्याधि शोक दारिद्र्यं सूर्य लोकं च गच्छति॥11॥
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)