Rudrabhishek Vidhi: सावन का महीना चार जुलाई से शुरू हो चुका है और इस बार अधिक मास होने के नाते यह 30 अगस्त तक चलेगा यानी पूरे 58 दिन. सावन के महीने में शिवजी की आराधना की जाती है, क्योंकि पृथ्वी लोक के कर्ताधर्ता श्री विष्णु जी चार माह के विश्राम को चले जाते हैं और सारा भार भगवान शंकर पर आ जाता है. इस माह में पृथ्वी लोक में रहने के कारण शिवजी को खुश करना आसान कार्य माना जाता है.  


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महत्व


इस माह में भगवान शिव के रुद्राभिषेक का विशेष महत्व है और यदि वह दिन सोमवार का हो तो कहना ही क्या है. सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं. इस माह का पहला सोमवार तो 10 जुलाई को बीत चुका है. वहीं, दूसरा सोमवार 17 जुलाई था. इसके बाद तीसरा 24 जुलाई, चौथा 31 जुलाई, पांचवां 07 अगस्त, छठवां 14 अगस्त, सातवां 21 अगस्त और आठवां तथा अंतिम सोमवार 28 अगस्त को होगा. 


ऐसे में रुद्राभिषेक का प्लान करिए और अभी से आचार्य को बुक कर लीजिए. सावन महीने के प्रत्येक सोमवार को शिव की पूजा करनी चाहिए. इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव के ध्यान से विशेष लाभ प्राप्त किए जा सकते हैं. सोमवार का प्रतिनिधि ग्रह चंद्रमा है और चंद्रमा मन का कारक होता है. मनुष्य के मन का नियंत्रण चंद्रमा करता है. चंद्रमा भगवान शिवजी के मस्तक पर विराजमान है, इसलिए जो भी शिव की आराधना करता है. शिव उसके मन को नियंत्रित करते हैं. 


सावन में जब भी समय मिले और जितना समय मिले पूरी आस्था और सात्विकता के शिव की आराधना करें, क्योंकि सावन में शिव बहुत जल्द प्रसन्न होते हैं.


अमोघ फल


सावन में शिव पूजा अमोघ फल देने वाली मानी गई है. खास तौर पर महिलाएं सावन मास में विशेष पूजा-अर्चना और व्रत-उपवास रखकर पति की लंबी आयु की प्रार्थना भोलेनाथ से करती हैं.


कांवड़


सावन के महीने में ही शिव भक्त, गंगा या पवित्र नदियों के जल को मीलों की दूरी तय करके लाते हैं और भगवान शिव का जलाभिषेक करते हैं. शिव भक्त कांवड़ यात्रा को आस्था का प्रतीक मानते हैं. शिव भक्तों का विश्वास है कि कांवड़ यात्रा के दौरान जो शिवभक्त तमाम कष्टों को सहते हुए गंगाजल लाकर शिवलिंग पर अर्पित करते हैं. भोलेनाथ उनके तमाम कष्टों को हमेशा के लिए हर लेते हैं.