Sakat Chauth 2023: पुत्र के जीवन को संकटों के दूर कर लंबी आयु की कामना के साथ संकष्टी गणेश चतुर्थी का पर्व माघ मास के कृष्ण पक्ष में मनाया जाता है, जो इस बार 10 जनवरी दिन मंगलवार को होगा. इस दिन महिलाएं संकट हरण गणेश जी का पूजन कर अपनी संतान से कष्टों को दूर रखने, आरोग्य और दीर्घ जीवन की कामना करती हैं. पूजन में दूर्वा (दूब घास), शमी पत्र, गुड़ और तिल के लड्डू चढ़ाए जाते हैं. माताएं दिन भर निर्जला व्रत रखकर शाम को चंद्रोदय के समय तिल गुड़ आदि से चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत को पूर्ण करती हैं. 


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व्रत- विधि 


लकड़ी के पटरे या चौकी पर शुद्ध मिट्टी की डली को गणपति के रूप में रखकर पूजन किया जाता है. कहीं-कहीं महिलाएं चकले पर आटे के गणेश जी बना कर उनका हल्दी से तिलक कर पूजन करती हैं. इस अवसर पर एक थाली में तिलकुट (कुटे हुए तिल और गुड़ को मिलाकर) का बकरा बनाया जाता है. साथ में पुए भी बना कर रखे जाते हैं. गणपति का पूजन करने के बाद संतान के माथे पर तिलक किया जाता है.  बाद में वहीं बालक दूर्वा घास से तिलकुट के बने बकरे को गर्दन से काट देता है. महिलाएं इस मौके पर सकट चतुर्थी की कथा सुनने के बाद चंद्रदेव को जल का अर्घ्य देने के बाद सबसे पहले अपनी सास और
 फिर अन्य लोगों को पुए और तिलकुट का प्रसाद देती हैं.


पुत्र प्राप्ति के लिए व्रत 


नवविवाहिता को पुत्र रत्न की प्राप्ति जिस वर्ष होती है, उसी वर्ष में आगामी सकट चतुर्थी को वह महिला अपने पुत्र के यशस्वी और दीर्घजीवी होने की कामना के साथ इस व्रत को करना शुरू कर दिया जाता है. यह व्रत लड़के का विवाह होने वाले वर्ष में भी किया जाता है. इसमें सवा किलो तिल को गुड़ के साथ तिलकुट बना कर पूजा करने के बाद प्रसाद आस पड़ोस में वितरित किया जाता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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