नई दिल्ली: गुरुवार से शाकंभरी नवरात्रि (Shakambhari Navratri 2021) का पर्व शुरू हो गया है. पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से शाकंभरी नवरात्रि की शुरुआत होती है. यह त्योहार पौष मास की पूर्णिमा तक मनाया जाएगा. पूर्णिमा का दिन माता शाकंभरी की जयंती (Shakambhari Jayanti) के रूप में मनाया जाता है.


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तंत्र-मंत्र करने वाले साधक मां शाकंभरी की विशेष अराधना करते हैं. मां शाकंभरी को वनस्पति की देवी भी कहते हैं. इस वर्ष यह नवरात्रि 21 जनवरी से 28 जनवरी तक मनाई जाएगी. जानिए इस नवरात्रि की महत्ता और पूजन विधि.


शाकंभरी पूर्णिमा का महत्व


शाकंभरी नवरात्रि बेहद महत्वपूर्ण है. इस नवरात्रि को पौष पूर्णिमा के नाम से देश के विभिन्न स्थानों पर मनाया जाता है. इस्कॉन (ISCON) के अनुयायी या वैष्णव संप्रदाय के लोग इस दिन की शुरुआत पुष्य अभिषेक यात्रा से करते हैं. इस दिन लोग पवित्र नदी पर जाकर स्नान और दान करते हैं. ऐसा करने से साधक पर मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है.


इन नौ दिनों में माता की विशेष पूजा-अर्चना आपको मोक्ष दिला सकती है. इस नवरात्रि पर तंत्र साधना वाले विशेष पूजा करते हैं. अगर आप भी पूरे साल सुख-समृद्धि चाहते हैं तो इन मंत्रों (Shakambhari Navratri Mantra) का जप करें.


देवी के खास मंत्र


1. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा
2. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति अन्नपूर्णे नम:.
3. ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:. मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:


ऊपर दिए गए इन मंत्रों को बतौर अनुष्ठान 10 हजार या 1.25 लाख बार जप कर दशांस हवन, तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराएं. फिर 1 माला नित्य जाप करें. हवन में तिल, जौ, अक्षत, घृत, मधु, ईख, बिल्वपत्र, शकर, पंचमेवा, इलायची आदि जरूर लें. समिधा, आम, बेल या जो उपलब्ध हो, उनसे हवन पूर्ण करके आप आजीवन सुखदायी रहेंगे. इससे आपको बाहरी नजर भी नहीं लगेगी.


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आदिशक्ति दुर्गा के अवतारों में एक हैं देवी शाकंभरी


पौराणिक धर्म ग्रंथों के अनुसार, देवी शाकंभरी आदिशक्ति दुर्गा के अवतारों में से एक हैं. दुर्गा के सभी अवतारों में से रक्तदंतिका, भीमा, भ्रामरी, शाकंभरी प्रसिद्ध हैं. दुर्गा सप्तशती के मूर्ति रहस्य में देवी शाकंभरी के स्वरूप का वर्णन निम्न मंत्र के अनुसार इस प्रकार किया गया है.


शाकंभरी नीलवर्णानीलोत्पलविलोचना।
मुष्टिंशिलीमुखापूर्णकमलंकमलालया।।


अर्थात- मां देवी शाकंभरी का वर्ण नीला है, नील कमल के सदृश ही इनके नेत्र हैं. ये पद्मासना हैं अर्थात् कमल पुष्प पर ही विराजती हैं. इनकी एक मुट्‌ठी में कमल का फूल रहता है और दूसरी मुट्‌ठी बाणों से भरी रहती है. इस तरह से देवी शाकंभरी की पूजा आपके जीवन को पूरी तरह से बदल देगी. 


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