Relation of Shani Dev with Mustard Oil: शनिवार को शनि देव की आराधना का दिन माना जाता है. मान्यता है कि वे न्याय के देवता हैं और लोगों के कर्मों के अनुसार उन्हें उचित फल देते हैं. अगर वे किसी पर प्रसन्न हो जाएं तो किसी भी जिंदगी बदल सकते हैं. वहीं अगर वे कुपित हो जाएं तो उसे बर्बाद होने से कोई नहीं रोक सकता. यही वजह है कि शनि देव को प्रसन्न करने के लिए लोग तमाम तरह के जतन करते दिखाई देते हैं. उन्हीं में से एक उपाय शनिवार (Shanivar ke Upay) को शनि मंदिर में तेल अर्पित करना होता है. 


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शनि की ढैया और साढ़ेसाती से मुक्ति


धार्मिक विद्वान कहते हैं कि शनि देव (Shani Dev) को सरसों का तेल अर्पित करने से साढ़ेसाती, शनि की ढैय्या या शनि दोष से मुक्ति मिल जाती है. इसके साथ ही शनि देव की प्रतिमा के आगे सरसों के तेल का दीपक जलाना भी शुभ माना जाता है. काफी लोगों के मन में अक्सर ये सवाल आता होगा कि आखिर शनि देव पर सरसों का तेल चढ़ाने की ये परंपरा कब और कैसे शुरू हुई. इसके पीछे एक पौराणिक कहानी है, जो आज हम आपको बताते हैं. 


बजरंग बली बने थे शनि देव के संकटहर्ता 


कहते हैं कि रामायण काल में एक बार लंकेशपति रावण ने अपनी असीम शक्तियों के बल पर शनि देव को कैद कर लिया था. सीता हरण के बाद जब प्रभु श्रीराम के कहने पर जब हनुमान जी उन्हें ढूंढते हुए लंका में पहुंचे तो वहां पर उन्होंने शनि देव को रावण की कैद में देखा. शनि देव के आग्रह पर उन्होंने उन्हें रावण की कैद से मुक्त किया और उछालकर लंका से बहुत दूर फेंक दिया, जिससे वे रावण की पहुंच से दूर हो जाएं. 


चोटों से राहत के लिए लगाया था सरसों का तेल


हनुमान जी के इस तरह फेंकने से शनि देव (Shani Dev) को काफी चोटे आईं. ऐसे में उन्हें राहत देने के लिए हनुमान जी ने उनकी पीड़ा कम करने के लिए घावों पर सरसों का तेल लगाया. इससे उन्हें दर्द में काफी आराम मिला और वे बजरंग बली से अत्यंत प्रसन्न  हुए. उन्होंने बजरंग बली को संकटहर्ता की उपाधि देते हुए कहा कि भविष्य में जो भी भक्त मुझे सरसों का तेल अर्पित करेगा, उसके ऊपर उनकी कृपा हमेशा बनी रहेगी. यही वजह है कि लोग शनिवार को शनि देव (Shanivar ke Totke) पर सरसों का तेल अर्पित करके उनकी सेवा का पुण्य लाभ हासिल करते हैं. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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