Shardiya Navratri 2024 Day 4: नवरात्रि के चौथे दिन करें मां कुष्माण्डा की पूजा , जानें विधि, मंत्र, आरती और खास भोग
Maa Kushmanda Puja Vidhi Mantra: मां कुष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति को आयु, यश, बल और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. देवी भक्त के जीवन से दुख, रोग, कष्टट दूर कर देती हैं.
Shardiya Navratri 2024 4th Day: शारदीय नवरात्रि के 9 दिन मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा करने का विधान है. आज हम आपको नवरात्रि के चौथे दिन के बारे में बताने जा रहे हैं. आपको बता दें कि इस दिन मां कुष्माण्डा की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार जब सृष्टि का निर्माण नहीं हुआ था और चारों तरफ अंधकार था तब मां कुष्माण्डा ने अपनी हल्की सी मुस्कान से ही पूरे ब्रह्मांड की रचना की. आइए जानते हैं मां कुष्माण्डा की पूजा विधि, आरती, मंत्र, भोग के बारे में...
कब है चतुर्थी तिथि?
वैदिक पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर को सुबह 07 बजकर 49 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 7 अक्टूबर को सुबह 09 बजकर 47 मिनट पर होगा.
पूजा विधि
- सुबह उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े धारण करें.
- इसके बाद देवी कूष्मांडा कुमकुम, मौली, अक्षत, पान के पत्ते, केसर और शृंगार अर्पित करें.
- धूप दीप जलाकर दुर्गा चालीसा का पाठ करें और अंत में मां कूष्मांडा की आरती करें.
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महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां कुष्मांडा की पूजा करने से व्यक्ति को आयु, यश, बल और बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है. देवी भक्त के जीवन से दुख, रोग, कष्टट दूर कर देती हैं.
भोग
नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा को आटे और घी से बने मालपुआ का भोग लगाना बहुत शुभ माना जाता है. इससे व्यक्ति को बल-बुद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है.
मंत्र
सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
देवी कूष्माण्डा का बीज मंत्र-
ऐं ह्री देव्यै नम:
मां कूष्मांडा की स्तुति मंत्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
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माता कूष्मांडा का ध्यान मंत्र
वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥
भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।
मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।
कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
मां कूष्मांडा की आरती
कूष्मांडा जय जग सुखदानी।
मुझ पर दया करो महारानी॥
पिगंला ज्वालामुखी निराली।
शाकंबरी माँ भोली भाली॥
लाखों नाम निराले तेरे ।
भक्त कई मतवाले तेरे॥
भीमा पर्वत पर है डेरा।
स्वीकारो प्रणाम ये मेरा॥
सबकी सुनती हो जगदंबे।
सुख पहुँचती हो माँ अंबे॥
तेरे दर्शन का मैं प्यासा।
पूर्ण कर दो मेरी आशा॥
माँ के मन में ममता भारी।
क्यों ना सुनेगी अरज हमारी॥
तेरे दर पर किया है डेरा।
दूर करो माँ संकट मेरा॥
मेरे कारज पूरे कर दो।
मेरे तुम भंडारे भर दो॥
तेरा दास तुझे ही ध्याए।
भक्त तेरे दर शीश झुकाए॥
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