Mahashivratri Significance: देवों के देव आदि देव भगवान शिव को हर कोई प्रसन्न करना चाहता है और भोलेनाथ भक्तों पर प्रसन्न भी बहुत जल्दी होते हैं. यूं तो सोमवार के दिन शिवजी की आराधना की बात कही जाती है, किंतु शिवरात्रि, महाशिवरात्रि और सावन के महीने में शिवजी की पूजा से विशेष आशीर्वाद मिलता है. सभी जानते हैं हर महीने में एक बार शिवरात्रि पड़ती है और फाल्गुन मास की त्रयोदशी को महाशिवरात्रि होती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन भगवान शंकर सभी शिवलिंगों में प्रवेश करते हैं. यह दिन भगवान शिव और सती जी के मिलन की रात्रि मानी जाती है, इसलिए शिवभक्त इस रात में विशेष पूजा-अर्चना करते हैं.


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महाशिवरात्रि का पर्व भोले भंडारी को प्रसन्न कर अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए होता है. इस बार यह 18 फरवरी को होगा, इसलिए द्वादश ज्योतिर्लिंग में से किसी न किसी ज्योतिर्लिंग में जाकर दर्शन, पूजा, उपासना और अनुष्ठान करने से आत्मशुद्धि के साथ ही सभी आकांक्षाओं की पूर्ति की जा सकती है.


द्वादश ज्योतिर्लिंग


हिंदू धर्म ग्रंथों और पुराणों के अनुसार, शिवजी जहां-जहां पर स्वंय ही प्रगट हुए, उन बारह स्थानों पर शिवलिंगों को ज्योतिर्लिंग के रूप में पूजा जाता है. इनमें गुजरात में श्री सोमनाथ एवं श्री नागेश्वर, आंध्रप्रदेश में श्री मल्लिकार्जुन, मध्यप्रदेश में श्री महाकालेश्वर एवं श्री ओंकारेश्वर, उत्तराखंड में श्री केदारनाथ, झारखंड में श्री बैद्यनाथ, महाराष्ट्र में श्री भीमाशंकर, श्री त्रयम्बकेश्वर एवं श्री घृष्णेश्वर, तमिलनाडु में श्री रामेश्वरम और उत्तर प्रदेश में श्री काशी विश्वनाथ हैं. मान्यता है कि जो भक्त प्रतिदिन प्रातः एवं सायंकाल इन बारह ज्योतिर्लिंग का नाम लेता है एवं दर्शन करता है, उसके सात जन्मों के पाप मिट जाते हैं. माना जाता है कि इन ज्योतिर्लिंगों के शिवलिंग में स्वयं भगवान शिव मौजूद हैं. संपूर्ण तीर्थ ही लिंगमय है और सब कुछ शिवलिंग में समाहित है.


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