Sharad Purnima Significance: आश्विन मास में शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को शरद पूर्णिमा या रास पूर्णिमा कहा जाता है. माना जाता है चंद्रमा 16 कलाओं से परिपूर्ण है और ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूरे वर्ष में केवल इसी दिन चंद्रमा 16 कलाओं का होता है. जो विवाहित लोग पूर्णमासी के व्रत का नियम करना चाहते हैं, उन्हें विवाह के बाद पड़ने वाली शरद पूर्णिमा के दिन व्रत उपवास करते हुए प्रारंभ करना चाहिए. इस बार यह पर्व 28 अक्टूबर को है.  


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नहाती गोपियां


गोपिकाएं श्री कृष्ण को मानसिक तौर पर पति के रूप में पाने की कामना करने लगीं और इसके लिए मां कात्यायनी देवी की पूजा और व्रत का संकल्प लिया. हेमंत ऋतु में गोपिकाएं सूर्योदय के पहले ही आसमान के लाल होते ही यमुना जी के जल में स्नान करने चली जाती और स्नान के बाद बालू की मूर्ति बनाकर मां कात्यायनी की पूजा करतीं. मां को सुगंधित फूल, धूप, नैवेद्य आदि अर्पित कर माता कात्यायनी से श्री कृष्ण को पति रूप में देने की कामना करती थी. करीब एक माह तक गोपियां मां की पूजा करती रहीं. 


ऐसे में ही एक दिन भगवान श्री कृष्ण भी वहां पहुंच गए और उन्होंने देखा कि गोपियां जल क्रीड़ा कर आनंदित हो रही हैं. इसी बीच श्री कृष्ण ने उनके वस्त्रों को उठा लिया और यमुना तट पर एक कदम्ब के पेड़ पर चढ़ कर गोपियों से बातें करने लगे कि मुझे पता है तुम सब पति के रूप में मुझे पाना चाहती हो. यह सुनते ही गोपियां लज्जा करने लगीं. इधर गोपियों को लगा कि अब वह कैसे बाहर निकलें. गोपियों ने तरह तरह से उनसे विनती की.


गलती


श्री कृष्ण ने गोपियों से कहा कि तुम लोगों ने वस्त्रहीन होकर स्नान कर यमुना जी और वरुण देव का अपमान किया है. अब तुम लोग उनसे हाथ जोड़ कर प्रणाम करते हुए क्षमा मांगो. गोपियों के ऐसा ही करने पर प्रसन्न हो श्री कृष्ण ने कहा कि तुम लोगों की अभिलाषा जरूर पूरी होगी. अभी तुम लोग घर जाओ और आने वाली शरद पूर्णिमा की रात्रि को मेरे साथ विहार कर सकोगी. इसे ही रासलीला कहा जाता है.


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