Durga Chalisa Path Benefits: ज्योतिष शास्त्र में हर दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है. कहते हैं कि शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी के साथ मां दुर्गा की पूजा का भी दिन होता है. इस दिन कुछ छोटी बातों का ध्यान रखने से भक्तों की सभी परेशानियां दूर होती हैं और मां दुर्गा प्रसन्न होकर भक्तों पर कृपा बरसाती हैं. किसी विशेष कार्य में सिद्धि पाने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कुछ विशेष उपायों का जिक्र किया गया है. कहते हैं मां दुर्गा बहुत कृपालु और दयालु हैं. ऐसे में वे पूजा-आराधना मात्र से ही प्रसन्न हो जाती हैं. 


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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मां की कृपा से साधक के सकल मनोरथ पूर्ण हो जाते हैं. अगर आप भी मां दुर्गा की कृपा पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन पूजा के समय दुर्गा चालीसा का पाठ करें. जानें कैसे करते हैं दुर्गा चालीसा का पाठ. 


दुर्गा चालीसा


नमो नमो दुर्गे सुख करनी।


नमो नमो अंबे दुःख हरनी॥


निरंकार है ज्योति तुम्हारी।


तिहूं लोक फैली उजियारी॥


शशि ललाट मुख महाविशाला।


नेत्र लाल भृकुटि विकराला॥


रूप मातु को अधिक सुहावे।


दरश करत जन अति सुख पावे॥


अन्नपूर्णा हुई जग पाला।


तुम ही आदि सुन्दरी बाला॥


प्रलयकाल सब नाशन हारी।


तुम गौरी शिवशंकर प्यारी॥


शिव योगी तुम्हरे गुण गावें।


ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें॥


धरयो रूप नरसिंह को अम्बा।


परगट भई फाड़कर खम्बा॥


रक्षा करि प्रह्लाद बचायो।


हिरण्याक्ष को स्वर्ग पठायो॥


लक्ष्मी रूप धरो जग माहीं।


श्री नारायण अंग समाहीं॥


हिंगलाज में तुम्हीं भवानी।


महिमा अमित न जात बखानी॥


मातंगी अरु धूमावति माता।


भुवनेश्वरी बगला सुख दाता॥


श्री भैरव तारा जग तारिणी।


छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी॥


कर में खप्पर खड्ग विराजै।


जाको देख काल डर भाजै॥


सोहै अस्त्र और त्रिशूला।


जाते उठत शत्रु हिय शूला॥


नगरकोट में तुम्हीं विराजत।


तिहुँलोक में डंका बाजत॥


महिषासुर नृप अति अभिमानी।


जेहि अघ भार मही अकुलानी॥


रूप कराल कालिका धारा।


सेन सहित तुम तिहि संहारा॥


परी गाढ़ सन्तन पर जब जब।


भई सहाय मातु तुम तब तब॥


ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी।


तुम्हें सदा पूजें नर-नारी॥


प्रेम भक्ति से जो यश गावें।


दुःख दारिद्र निकट नहिं आवें॥


ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई।


जन्म-मरण ताकौ छुटि जाई॥


शंकर आचारज तप कीनो।


काम क्रोध जीति सब लीनो॥


निशिदिन ध्यान धरो शंकर को।


काहु काल नहिं सुमिरो तुमको॥


शक्ति रूप का मरम न पायो।


शक्ति गई तब मन पछितायो॥


भई प्रसन्न आदि जगदम्बा।


दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा॥


मोको मातु कष्ट अति घेरो।


तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो॥


आशा तृष्णा निपट सतावें।


रिपु मुरख मोही डरपावे॥


करो कृपा हे मातु दयाला।


ऋद्धि-सिद्धि दै करहु निहाला।


जब लगि जियऊं दया फल पाऊं।


तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊं॥


श्री दुर्गा चालीसा जो कोई गावै।


सब सुख भोग परम पद पावै॥


कैसे करें मां दुर्गा चालीसा का पाठ 


ज्योतिष शास्त्र में पूजा-पाठ के लिए ब्रह्म मुहूर्त का विशेष महत्व बताया गया है. सूर्योदय से पहले के समय को ब्रह्म मुहूर्त कहा जाता है. इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नाना आदि से निवर्त होने के बाद देवी मां की पूजा करें. इसके बाद मां दुर्गा की पूजा के लिए धूप, दीप, नैवेद्य, फल, मौली और फूल एकत्रित कर लें. कहते हैं कि भगवती देवी को लाल रंग के फूल बहुत प्रिय होते हैं. इसलिए उन्हें लाल रंग के फूल अर्पित करें. इसके अलावा मां को चढ़ाने वाली वस्तुएं भी लाल रंग की ही होनी चाहिए. 


पूजा के समय मां दुर्गा को सबसे पहले जल अर्पित करें. उसके बाद उन्हें वस्त्र, बिंदी, लाल सिंदूर आदि अर्पित करें. इसके बाद ही दूर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए. फिर दुर्गा आरती करें और पूजा के दौरान ओम श्री दुर्गाय नमः मंत्र का जाप करें. इस मंत्र का जाप बहुत फलदायी माना गया है. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)