ASTROLOGY: हर हाल में अपने लक्ष्य पाते हैं वृष लग्न के लोग, होते हैं बेहद मेहनती और बुद्धिमान! जानें बाकी खासियतें
Taurus Ascendant People: वृषभ लग्न वालों की सबसे बड़ी खूबियां है उनकी अथक मेहनत, बुद्धिमानी और कभी हिम्मत न हारने का जज्बा. इन्हीं खूबियों के दम पर वे अपने सारे सपने पूरे कर लेते हैं.
Characteristics of Taurus Ascendant People, वृषभ लग्न वालों की खासियतें: वृष लग्न वाले लोग अपनी किस्मत को खुद चमकाते हैं, वे बहुत अच्छे सलाहकार होते हैं, पूरी ईमानदारी से सलाह देते हैं और कभी किसी को परखने में धोखा नहीं खाते हैं. इनका प्रारंभिक जीवन भले ही संघर्षपूर्ण हो किंतु मध्य और अंत सुखमय रहता है. वे धार्मिक, सहिष्णुता से परिपूर्ण होने के साथ ही दुख के समय भी सहनशीलता नहीं खोते हैं. हालांकि इन्हें अपने जीवन में खूब परिश्रम करना पड़ता है.
सुंदर बड़ी आंख वाले होते हैं वृष राशि वाले
आज हम लोग बात करेंगे वृष लग्न वालों की. वृष, काल पुरुष की कुंडली में दूसरी राशि होती है. इस राशि का सिंबल है बैल. बैल अर्थात् वृष कृषि से जुड़ा हुआ होता है. बैल धरती से अनाज निकालता है. वृष से अधिक इसका आध्यात्मिक पहलू यह है यह शिव परिवार का एक सदस्य है. यह कृतिका नक्षत्र के तीन चरण, रोहिणी के चार चरण मृगशिरा के दो चरणों से मिलकर बनी है. इसकी गणना सौम्य राशियों में होती है. यह राशि दक्षिण दिशा की राशि है. स्थिर स्वभाव वाली यह स्त्री जाति की राशि है. मेष की तरह इसका भी पीठ की ओर से उदय होता है इसलिए इसे भी पृष्ठोदय राशि कहते हैं. इस राशि में चंद्रमा उच्च का होता है. 4 से 30 अंश तक चंद्रमा मूल त्रिकोण में होता है. छाया ग्रह राहु भी इस राशि में उच्च का होता है पर केतु नीच का होता है. वृष लग्न के जातक की आंखें बड़ी सुंदर होती हैं.
व्यक्तित्व में होता है चुंबकीय आकर्षण
यह व्यक्ति बहुत अच्छा सलाहकार होता है. देखा गया है कि इस लग्न वाला व्यक्ति लोगों को परखने में कभी धोखा नहीं खाता है और बहुत ईमानदारी से सलाह देता है. वह अपने सामने वाले से बात करके सामने वाले के चरित्र और स्वभाव के बारे में जान लेते हैं. इसीलिए यदि वृष लग्न वाले व्यक्ति को सलाहकार बनाया जाए तो वह बहुत लाभकारी होते हैं. ऐसे जातक वफादार होते है. इनके व्यक्तित्व में एक चुंबकीय आकर्षण होता है.
देव स्थलों पर घूमने के होते हैं शौकीन
जातक जल्दी स्थान परिवर्तन नहीं करता है और यदि करता है तो बहुत सोच समझकर करता है. वृष जातकों को देव स्थलों में घूमने का बहुत शौक होता है. यह लग्न ही एक मात्र लग्न है जो अन्य लग्नों की अपेक्षा सबसे अधिक मेहनती होती है. वृष का अर्थ है बैल, बैल के सहयोग से धरती से अन्न निकाला जा सकता है. अतः वृष जातकों में दबी हुई चीजों को निकालने की विलक्षण प्रतिभा होती है. इसका स्वामी शुक्र होता है, यह भाग्यशाली राशि है. वृष राशि रात्रिबली होती है.
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शनि हैं परम मित्र
वृष लग्न का जातक स्पष्ट बोलने वाला और कुटुंब के साथ रहने वाला होता है. इन लोगों में स्नेह की भावना अधिक होती है. वृष लग्न की कुंडली में शनि बहुत अच्छे परिणाम देता है क्योंकि शनि शुक्र के परम मित्र होते हैं. शनि कर्म और लाभ का स्वामी होता है. बुध भी इस लग्न वाले को शुभ फल देता है. वृष लग्न वाले की कुंडली में यदि बुध अच्छा हो तो ऐसा जातक बहुत बुद्धिमान होता है. यही एकमात्र राशि है जहां पर बुध बुद्धि के स्थान पर उच्च का होता है और बुध की दूसरी राशि अर्थात मिथुन दूसरे भाव में पड़े तो जातक को वाणी, कुटुंब और प्रारंभिक शिक्षा आदि पर्याप्त मात्रा में प्राप्त होते हैं.
रोज वर्कआउट करना जरूरी
वृष राशि के जातकों को आग और करंट से दूर रहना चाहिए. इस लग्न वालों के लिए क्रीम रंग शुभ होता है. ऐसे जातकों को चटकीले लाल रंग के वस्त्र धारण नहीं करने चाहिए. क्रीम के अतिरिक्त नीला रंग भी धारण कर सकते हैं. ऐसे जातक को व्यायाम नित्य करना चाहिए. व्यायाम करने से वृष का कारक ग्रह शनि प्रसन्न रहता है. चूंकि वह कर्म और लाभ का स्वामी है इसलिए उसकी प्रसन्नता में ही वृष के जातकों की प्रगति होती है.
कल्पनाशीलता है प्रमुख गुण
चंद्रमा को तीसरे घर का स्वामित्व प्राप्त होने के कारण जातक की रंगमंच, थिएटर और शास्त्रीय संगीत में रुचि होती है. चंद्रमा उच्च का होकर लग्न में बैठ जाए तो ये अत्याधिक कल्पनाशील हो जाते हैं. पराक्रम का स्वामी चंद्रमा अधिक कल्पना शक्ति देता है. ऐसे जातकों का जीवन संघर्ष पूर्ण रहता है लेकिन बाद में मध्य और अंत तक जीवन सुखमय होता है.
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घरेलू सुख शांति के लिए करें सूर्य की उपासना
इस लग्न के जातकों को सुख की प्राप्ति के लिए सूर्य भगवान को प्रसन्न करना चाहिए. चौथे भाव अर्थात सुख के घर में सिंह राशि पड़ती है और सिंह का स्वामी सूर्य है इसलिए घर की सुख-शांति के लिए सूर्य भगवान को प्रसन्न करना चाहिए. वृष के जातकों के लिए मंगल बहुत अच्छा परिणाम नहीं देता है, क्योंकि मंगल की पहली राशि मेष द्वादश में और दूसरी राशि वृश्चिक सप्तम में पड़ती है. मंगल के शुभ परिणामों के लिए जातक को बचपन से ही हनुमान जी की उपासना करनी चाहिए ताकि पूर्व जन्मों में की गई गलतियों की क्षमा प्रार्थना की जा सके.
धार्मिक और सहिष्णु होते हैं
व्यक्ति को पूर्व जन्मों के कर्मों के आधार पर ही लग्न मिलती है. इस लग्न के जातक को ध्यान में रखना चाहिए कि काल पुरुष की कुंडली में भाग्य भाव की राशि धनु उनके अष्टम स्थान में पड़ती है. अष्टम का अर्थ होता है जमीन के नीचे दबी हुई वस्तु. कहने का आशय है कि कुछ पाने के लिए जमीन खोदनी यानी मेहनत करनी पड़ेगी, इसलिए आपको वृष राशि प्राप्त हुई है ताकि जमीन के नीचे से आप अपने भाग्य को फलीभूत कर सकें. अष्टम और एकादश (लाभ) दोनों का स्वामी गुरु होता है और गुरु मेहनत करने वालों पर ही प्रसन्न होते हैं. इस लग्न के जिन जातकों के कान बड़े हों उनकी इस जन्म में बहुत प्रगति होती है. ऐसा जातक धर्म, सहिष्णुता से ओत प्रोत रहता है. उसे दुख में अत्यंत सहनशीलता प्राप्त रहती है.